बासेल–III मानदंडों को पूरा करने के लिए बैंकों को 26-27 मिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत होगी– मूडी-(27-SEP-2014) C.A

| Saturday, September 27, 2014

वैश्विक स्तर रेटिंग एजेंसी मूडी ने 22 सितंबर 2014 को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बासेल–III मानदंडों को पूरा करने के लिए 26– 37  बिलियन अमेरिकी डॉलर की पूंजी की आवश्यकता होगी.
मूडी की इस रिपोर्ट का नाम इंडियन बैंक्स कुड नीड 26– 37  बिलियन यूएस डॉलर इन एक्सटरनल कैपिटल फॉर बासेल III कंप्लायंस है.
अपनी रिपोर्ट में मूडी ने कहा है कि भारतीय के सार्वजनिक क्षेत्र के 11 बैंकों को बासेल III पूंजी पर्याप्तता मानदंडों को वित्त वर्ष 2019 तक प्राप्त करने के लिए वित्त वर्ष 2015 में अपने बाहरी पूंजी में 26 से 37 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत होगी.
मूडी का यह तथ्य इस अनुमान पर आधारित है कि भारत की जीडीपी में सामान्य सुधार हुआ है और गैरनिष्पादन ऋणों के मौजूदा स्तर में क्रमिक गिरावट हुई है.
रिपोर्ट की मुख्य बातें
•    रुपए के संदर्भ में इन बैंकों को बासेल–III मानदंडों का पूरी तरह से अनुपालन करने के लिए अतिरिक्त 1.5 से 2.2 ट्रिलियन रुपयों की जरूत होगी.
•    आवश्यक पूंजी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा करीब 800– 900 बिलियन रूपये (या 13–15 बिलियन अमेरिकी डॉलर), अधिरिक्त टीयर 1 (AT1) पूंजी के रूप में हो सकता है.
•    मूडी के अनुसार पीएसबी भारतीय बैंकिंग सिस्टम में शुद्ध ऋण का 62 फीसदी प्रदान करते है लेकिन शायद ही वर्तमान न्यूनतम पूंजी जरूरतों को पूरा कर सकें. परिणामस्वरुप पीएसबी को, वर्तमान परिदृष्य में तेजी से पूंजी उगाहने में मुश्किल हो सकती है.
•    रिपोर्ट में कहा गया है कि कमजोर परिसंपत्ति गुणवत्ता के कारण लाभप्रदता और पीएसबी में आंतरिक पूंजी उत्पादन में कमी आई है. परिणामतः उन्हें सरकार द्वारा समयसमय पर पूंजी प्रदान करने पर निर्भर रहना होगा.
•    उल्लेखनीय है कि पीएसयू बैंकों के कम मूल्यांकन के कारण इन्हें इक्विटी बाजार का दोहन करने के बावजूद जरूरी धनराशि जुटाने में मुश्किल होगी.  यहां तक ही हाल ही में शेयरों में आए उछाल भी काम नहीं कर पाएंगे.
बासेल–III मानदंड
बासेल–III ने टीयर 1 पूंजी की न्यूनतम जरूरी पूंजी स्तर को बढ़ाकर 7.0 फीसदी औऱ सामान्य इक्विटी टीयर 1 (सीईटी 1) पूंजी की न्यूनतम जरूरी पूंजी स्तर को बढाकर 5.5 फीसदी कर दिया है. इसके अलावा, बैंकों को लाभांश का भुगतान करने के क्रम में पूंजी संरक्षण बफर को भी प्राप्त करना होगा. ये भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर प्रमुख ऋण कमजोरी कम पूंजी स्तर के कारण दबाव बनाएंगे.

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