भारत ने पारे के इस्तेमाल पर रोक संबंधी ‘मीनामाटा संधि’ पर हस्ताक्षर किया-(27-SEP-2014) C.A

| Saturday, September 27, 2014

भारत ने पारे के इस्तेमाल पर रोक संबंधी मीनामाटा संधिपर 25 सितंबर 2014 को हस्ताक्षर  किया. इस संधि के तहत देश में पारे के इस्तेमाल पर रोक लगेगी. केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अमेरिका यात्रा के दौरान इस संधि पर हस्ताक्षर किए.
मीनामाटा संधिसे संबंधित मुख्य तथ्य
मीनामाटा संधि के तहत दुनिया भर में पारे का उपयोग बंद करने का प्रस्ताव है. इस संधि के लागू होने पर अगले दस वर्षों में देश पारा मुक्त हो जाएगा. मानवीय स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पारे के विपरीत असर पड़ता है इसलिए भारत ने इसके इस्तेमाल पर रोक संबंधी मीनामाटा संधि पर हस्ताक्षर किए.
इस संधि का नाम मीनामाटा जापान के एक शहर के नाम पर पड़ा. टोक्यो से करीब 1000 किलोमीटर दूर स्थित मीनामाटा में वर्ष 1950 के दशक में एक कंपनी से पारे के रिसाव के चलते लोगों को लाइलाज बीमारी हो गई. वर्ष 1956 में वैज्ञानिकों ने इस बीमारी को मीनामाटानाम दिया. इसके बाद से ही दुनिया भर में पारे के इस्तेमाल को रोकने के लिए अभियान छिड़ा. 100 से अधिक देश मीनामाटा संधि पर अब तक हस्ताक्षर कर चुके हैं. इस संधि का प्रारंभ 10 अक्टूबर 2013 को हुई. मीनामाटा संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देशों पर इसके प्रावधान कानूनी रूप से लागू होते हैं.
पारा से संबंधित मुख्य तथ्य
पारा बेहद जहरीला पदार्थ होता है, लेकिन इसका इस्तेमाल स्वास्थ्य उत्पादों के साथ-साथ बिजली उपकरण बनाने और धार्मिक कार्यो में होता है. भारत में करीब 3000 औद्योगिक उत्पादों में पारे का इस्तेमाल होता है. इनमें थर्मामीटर, रंग, कॉस्मेटिक्स, सीएफएल, इलेक्टिक स्विच और खाद प्रमुख हैं.

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