राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 14-17 सितंबर 2014 तक वियतनाम समाजवादी गणराज्य के दौरे पर थे. अपने दौरे के दौरान, उन्होंने वियतनाम के राष्ट्रपति त्रांग टैन सांग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की और वियतनाम के प्रधानमंत्री गुयेन टैन डंग से मुलाकात की. उन्होंने अपने–अपने देशों के सामाजिक–आर्थिक विकास औऱ विदेश नीति, द्विपक्षीय संबंधों और आपसी हितों के मुद्दों पर अपने विचार साझा किए.
दोनों ही देशों के राष्ट्रपतियों ने संयुक्त रूप से हो चि मिन्ह नेशनल एकेडमी ऑफ पॉलिटिक्स एंड पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में सेंटर फॉर इंडियन स्टडीज का उद्घाटन किया. भारत वियतनाम के माई सोन में चाम स्मारक को फिर से बनाने का काम भी शुरु करेगा.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वियतनाम के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों का भी दौरा किया और वहां के आम लोगों के साथ बातचीत भी की.
उन्होंने बोध गया के पवित्र बोधी वृक्ष का एक छोटा पौधा वियतनाम के राष्ट्रपति त्रांग टैन सांग को भेंट किया जो कि दोनों देशों के बीच बौद्ध विरासत के साझा करने का प्रतीक है. उन्होंने वर्ष 1959 में भारत के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद द्वारा बोधी वृक्ष लगाए जाने वाले स्थल ट्रॅन कोक पैगोडा का भी दौरा किया.
उन्होंने हो ची मिन्ह शहर में वार रेमनन्ट्स म्यूजियम (युद्ध अवशेष संग्रहालय) और ची चू टनल का भी दौरा किया. ये स्मारक वियतनामी लोगों के जिद्दी स्वभाव और साहस का प्रदर्शन करते हैं. जिन्होंने बड़ी–बड़ी बाधाओं के बीच विजय हासिल की थी.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वियतनाम के प्रधानमंत्री गुयेन टैन डंग को भारत आने का न्यौता दिया और वे अक्टूबर 2014 में भारत के दौरे पर आने वाले हैं.
दोनों ही देशों ने सात समझौते किए जो पारस्परिक लाभ के आदान–प्रदान के लिए संस्थागत ढांचा प्रदान करेंगे. हस्ताक्षर किए गए समझौते दोनों देशों के राजनयिक संबंधों और भागीदारी में वृद्धि करेंगे.
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