केंद्र सरकार एचएमटी वाचेज को बंद करने की घोषणा की-(14-SEP-2014) C.A

| Sunday, September 14, 2014

केंद्र सरकार ने 11 सितंबर 2014 को एचएमटी वाचेज को चरणबद्ध तरीके से बंद करने का फैसला किया. एचएमटी वाचेज एचएमटी लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है.
बोर्ड फॉर रिकंस्ट्रक्शन ऑफ पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (बीआरपीएसई) ने  2000 से यह लगातार घाटे में चलने की वजह से इस इकाई को बंद करने की सिफारिश की.
वर्ष 2011–12 में 224.04 करोड़ रुपयों के घाटे के मुकाबले 2012–13 में इसका शुद्ध घाटा 242.47 करोड़ रुपये हो गया.
मार्च 2012 के आखिर तक, इस पर 694.52 करोड़ रुपये का सरकारी ऋण, जिसमें वेतन और सांविधिक देय के लिए बजट सहायता भी शामिल है, था. कंपनी के पास 31 मार्च 2013 तक 1105 कर्मचारी थे.
पृष्ठभूमि
साल 2000 में, एचएमटी वाच बिजनेस समूह एचएमटी वाचेज लिमिटेड के नाम से पुनर्गठित किया गया था. हालांकि, इसके तुरंत बाद ही कंपनी को नुकसान होना शुरु हो गया जिसके बाद एक पुनरुद्धार योजना बनाई गई और इसे 2006 में बीआरपीएसई ने मंजूर भी कर लिया.
वित्त मंत्रालय और योजना आयोग द्वारा प्रस्ताव का समर्थन नहीं करने की वजह से सरकार ने कंपनी को इस योजना को किसी सलाहकार से पुनरीक्षित करने को कहा था.
एचएमटी लिमिटेड के निदेशकों के मुताबिक घड़ी की यह कंपनी 2012–13 में कार्यशील पूंजी की कमी, व्यापार चैनल में कमी और उच्च लागत जैसे कारकों की वजह से  प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार नहीं कर सकी.
एचएमटी के बारे में
पहली विनिर्माण इकाई जापान की सिटिजन वॉच के सहयोग से 1961में बैंगलोर में स्थापित की गई थी.
साल 1972 में, एचएमटी ने अपने घड़ी बनाने की क्षमता का बैंगलोर फैक्ट्री के साथ एक और फैक्ट्री की स्थापना कर विस्तार किया. साल 1975 में बैंगलोर की वॉच फैक्ट्री ने मेन स्प्रिंग, हेयर स्प्रिंग और शॉक एबजॉर्बर घटकों के निर्माण के लिए और विस्तार किया.
साल 1978 और 1985 में एचएमटी ने क्रमशः घड़ी के घटकों के उत्पादन के लिए टुमकुर और रानीबाग में विनिर्माण इकाईयों की स्थापना की. टुमकुर की घड़ी फैक्ट्री को घड़ी के साथ क्वार्ट्ज के निर्माण के लिए एम/एस सिटिजन वाच को. जापान के सहयोग से आंशिक रूप से बदला गया. प्रमुख बाजार में अग्रणी होनेके लिए 1983 में बैंगलोर में विशेष विनिर्माण इकाई शुरु की गई थी.
एचएमटी घड़ियों को ऑटोमैटिक डेडेट (दिन और तारीख) घड़ियों के साथ पहली ब्रेल और क्वार्ट्ज घड़ियां बनाने का भी श्रेय है.

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