सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय कर न्यायाधिकरण अधिनियम को असंवैधानिक घोषित किया-(26-SEP-2014) C.A

| Friday, September 26, 2014

सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने राष्ट्रीय कर न्यायाधिकरण अधिनियम (National Tax Tribunal Act 2005, एनटीटी) को 25 सितंबर 2014 को असंवैधानिक घोषित किया. राष्ट्रीय कर न्यायाधिकरण अधिनियम के तहत कर मामलों पर फैसला करने के लिए एक पंचाट का गठन किया गया था.
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस कानून की धारा पांच, छह, सात, आठ और 13 को यह कहते हुए समाप्त कर दिया कि इसके प्रावधान सभी व्यावहारिक उद्देश्यों की दृष्टि से अप्रभावी हैं.

संविधान पीठ ने अपने निर्णय में कहा कि वर्ष 2005 में पारित राष्ट्रीय कर न्यायाधिकरण अधिनियम असंवैधानिक है क्योंकि इसके तहत गठित राष्ट्रीय कर न्यायाधिकरण (एनटीटी) उच्चतर न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण करता है. 

सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार सिर्फ उच्च अदालतें ही महत्वपूर्ण कानूनों से जुड़े मुद्दों पर विचार कर सकती है न कि कोई पंचाट (ट्रिब्यूनल).

यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने एनटीटी की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली मद्रास बार एसोसिएशन और अन्य कई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया. इन याचिकाओं में यह दलील दी गई है कि इस अधिनियम से इस बात का गंभीर खतरा है कि इस तरह न्यायपालिका की जगह विभिन्न मंत्रालयों के विभागों की तरह काम करने वाले अनेक अर्धन्यायिक पंचाट खड़े कर दिए जाएंगे.
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति जेएस खेहड़, न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरीमन  शामिल हैं.
संविधान पीठ के चार सदस्यों की ओर से न्यायमूर्ति केहर ने फैसला सुनाया, जबकि न्यायमूर्ति नरीमन ने अलग से फैसला सुनाया. हालांकि उनका भी फैसला सहमति वाला ही था.

न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरीमन  ने अपने फैसले में लिखा है कि राष्ट्रीय कर न्यायाधिकरण असंवैधानिक है क्योंकि यह संविधान में प्रदत्त शक्तियों के पृथक्कीकरण (सेप्रेशन ऑफ पावर) के सिद्धांत के खिलाफ है.