केंद्र सरकार ने गंगा नदी
के कायाकल्प हेतु सर्वोच्च न्यायालय में 22 सितंबर 2014
को कार्य योजना प्रस्तुत की. सरकार ने इस संदर्भ में सर्वोच्च
न्यायालय के समक्ष लघु, मध्यम और दीर्घकालिक उपायों की एक
कार्य-योजना प्रस्तुत की. न्यायालय में प्रस्तुत यह कार्य-योजना 18 वर्ष की अवधि का है.
कार्य
योजना की संक्षिप्त रूपरेखा
कार्य योजना के अपने हलफनामे में सरकार ने गंगा के चरणबद्ध कायाकल्प
की परिकल्पना की है. इसमें समय रेखा को शर्तों में विभाजित किया गया है और वह
शर्तें हैं;
लघु अवधि - तीन वर्ष की अवधि.
मध्यम अवधि - अगले पांच वर्षों की अवधि.
लघु अवधि - तीन वर्ष की अवधि.
मध्यम अवधि - अगले पांच वर्षों की अवधि.
दीर्घकालिक - अगले दस वर्ष और उससे अधिक की अवधि.
प्रस्तुत कार्य योजना के तहत जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्रालय ने
सबसे पहले घाटों के विकास के लिए सात नदी तटों- केदारनाथ, हरिद्वार, वाराणसी, कानपुर,
इलाहाबाद, पटना और दिल्ली को चुना है. मध्यम
अवधि में, शहरी विकास मंत्रालय ने गंदे नालों के बुनियादी
ढांचे के आवृत्त क्षेत्र का विस्तार करने के लिए 118 शहरी
बस्तियों को चुना है. मध्यम अवधि के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कुल लागत 51000
करोड़ रुपए निर्धारित की गई है.
विदित हो कि 13 अगस्त 2014 को
सर्वोच्च न्यायालय ने गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार से एक
चरणबद्ध कार्य योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा था.
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