16 सितंबरः अंतरराष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस
अंतरराष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस 16 सितंबर 2014 को मनाया गया. वर्ष 1987 में आज के ही दिन ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किया गया था. वर्ष 2014 का विषय रहा– ओजोन लेयर प्रोटेक्शनः द मिशन गोज ऑन (Ozone Layer Protection: The Mission Goes On).
अंतरराष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस 16 सितंबर 2014 को मनाया गया. वर्ष 1987 में आज के ही दिन ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किया गया था. वर्ष 2014 का विषय रहा– ओजोन लेयर प्रोटेक्शनः द मिशन गोज ऑन (Ozone Layer Protection: The Mission Goes On).
इस दिन संयुक्त राष्ट्र ने प्रोटोकॉल के उद्देश्यों और उसके संशोधनों के मुताबिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए अपना एक दिन समर्पित करने हेतु विश्व के देशों को आमंत्रित किया.
अंतरराष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस
वर्ष 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की. इसके तहत मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के अनुसार ओजोन परत को क्षति पहुंचाने वाले पदार्थों को चरणबद्ध तरीके से कम करने के लिए कदम उठाए जाते हैं. इन कदमों ने ओजोन परत के संरक्षण में मदद की है और परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन से संबंधित समस्याओं को भी कम करने में मदद की है. ओजोन की परत को क्षति पहुंचाने वाली गैसें हैं– क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स, हैलोन्स, कार्बनटेट्राक्लोराइड.
ओजोन परत के बारे में
ओजोन परत गैस की एक कमजोर कवच है जो पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाती है. यह परत इस ग्रह के जीवों के जीवन की रक्षा करने में मदद करती है. यह पृथ्वी पर हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पहुंचने से रोक कर मनुष्यों के स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करता है.
ओजोन परत में वायुमंडल के अन्य हिस्सों के मुकाबले ओजोन (O3) की उच्च सांद्रता होती है, हालांकि अभी भी यह समतापमंडल में मौजूद अन्य गैसों के मुकाबले बेहद कम है. यह परत मुख्य तौर से समताप मंडल के निचले हिस्से में पृथ्वी से 20 से 30 किलोमीटर की उंचाई पर पाई जाती है. परत की मोटाई मौसम और भूगोल के हिसाब से अलग– अलग होती है.
अंतरराष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस
वर्ष 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की. इसके तहत मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के अनुसार ओजोन परत को क्षति पहुंचाने वाले पदार्थों को चरणबद्ध तरीके से कम करने के लिए कदम उठाए जाते हैं. इन कदमों ने ओजोन परत के संरक्षण में मदद की है और परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन से संबंधित समस्याओं को भी कम करने में मदद की है. ओजोन की परत को क्षति पहुंचाने वाली गैसें हैं– क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स, हैलोन्स, कार्बनटेट्राक्लोराइड.
ओजोन परत के बारे में
ओजोन परत गैस की एक कमजोर कवच है जो पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाती है. यह परत इस ग्रह के जीवों के जीवन की रक्षा करने में मदद करती है. यह पृथ्वी पर हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पहुंचने से रोक कर मनुष्यों के स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करता है.
ओजोन परत में वायुमंडल के अन्य हिस्सों के मुकाबले ओजोन (O3) की उच्च सांद्रता होती है, हालांकि अभी भी यह समतापमंडल में मौजूद अन्य गैसों के मुकाबले बेहद कम है. यह परत मुख्य तौर से समताप मंडल के निचले हिस्से में पृथ्वी से 20 से 30 किलोमीटर की उंचाई पर पाई जाती है. परत की मोटाई मौसम और भूगोल के हिसाब से अलग– अलग होती है.
ओजोन परत की खोज फ्रांस के भौतिकविद चार्ल्स फैबरी औऱ हेनरी बूइसा ने वर्ष 1913 में की थी. हालांकि, इसके गुणों को विस्तार से ब्रिटिश मौसम विज्ञानी जीएमबी डोबसन ने पता लगाया. डोबसन ने एक साधारण स्पेक्ट्रोफोटोमीटर (द डोबसनमीटर) विकसित किया जिसका प्रयोग धरती से समताप मंडल में मौजूद ओजोन को मापने में किया जा सकता था. वर्ष 1928 से 1958 के दौरान डोबसन ने ओजोन निगरानी स्टेशनों का विश्वभर में नेटवर्क स्थापित किया जो आज भी काम कर रहे हैं. मौजूद ओजोन की मात्रा को मापने की सुविधाजनक इकाई – डोबसन यूनिट, का नाम उनके सम्मान में ही रखा गया था.
0 comments:
Post a Comment