केंद्रीय
मंत्रिमंडल ने 24 सितंबर 2014 को
शहरी इलाकों के लिए स्वच्छ भारत मिशन को मंजूरी दी. मिशन की शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 से होगी और यह पांच वर्ष की अवधि के
लिए लागू किया जाएगा.
स्वच्छ
भारत मिशन को देश के 4041 से अधिक वैधानिक कस्बों में लागू किया
जाएगा और इस पर 62009 करोड़ रुपये की लागत आएगी जिसमें से 14623
करोड़ रुपये का खर्च केंद्र सरकार उठाएगी.
मिशन
स्वच्छ भारत अभियान का शहरी घटक है और इसे केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय लागू
करेगा. मिशन का ग्रामीण घटक केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा लागू किया
जाएगा.
मिशन की मुख्य बातें
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मिशन में खुले शौच का उन्मूलन, आरोग्यविघातक
शौचालयों को फ्लश शौचालयों में रूपांतरण, मैला ढोने की
परंपरा का उन्मूलन, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन शामिल
हैं.
•
कार्यक्रम में सभी 4041 से अधिक वैधानिक
कस्बों में i) व्यक्तिगत घरेलू शौचालय, ii) समुदाय और सार्वजनिक शौचालय और iii) नागरिक ठोस
अपशिष्ट प्रबंधन, की सुविधा के लिए घटक होंगे.
•
इसके तहत 1.04 करोड़ घरों को कवर किया
जाएगा, सामुदायिक शौचालयों के लिए 2.5 लाख
सीटें प्रदान करना, सार्वजनिक शौचालयों के लिए 2.6 लाख शौचायल सीटें और सभी शहरों के लिए ठोस कचरा प्रबंधन सुविधा दी जाएगी.
मिशन का उद्देश्य
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मिशन का उद्देश्य जनता में स्वस्थ स्वच्छता प्रथाओं के बारे
में उनकी मानसिकता को बदलना और स्वच्छता एवं जन स्वास्थ्य से इसके संबंधों के बारे
में नागरिकों में जागरूकता पैदा करना है.
•
इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए स्थानीय शहरी निकायों को
डिजाइन, निष्पादन और परिचालन प्रणाली बनाने के लिए मजबूत बनाना
और पूंजीगत खर्च एवं परिचालन खर्च में नीजि क्षेत्र की भागीदारी के लिए सही माहौल
बनाना भी इसके उद्देश्यों में शामिल है.
स्वच्छ
भारत अभियान की योजना का उल्लेख केंद्रीय बजट 2014–15 में
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 10 जुलाई 2014
को की थी. इस योजना का प्रस्ताव पेयजल एवं स्वच्छता योजना के तहत
केंद्रीय बजट में किया गया था. प्रस्ताव के मुताबिक वर्ष 2019 तक प्रत्येक घर को स्वच्छता सुविधा के तहत कवर किया जाएगा.
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