फीफी विश्व
कप 2014 में इस्तेमाल किए
जाने वाले ब्रजूका बॉल्स में छह एचडी कैमरे लगे होंगे. ये कैमरे मैदान पर चल रही
गतिविधियों की 360 डिग्री के कोण पर कैद करने में मदद
करेगें. फीफा विश्व कप का आयोजन 12 जून से 13 जुलाई 2014 तक किया जाना है.
ब्रजूका का मतलब है जीने का ब्राजीलियन तरीका. फुटबॉल का यह नाम सितंबर 2012 में एक मिलियन से अधिक फुटबॉल प्रशंसकों ने चुना था.
टूर्नामेंट के दौरान इस्तेमाल किया जाने वाला ब्रजूका बॉल नीले, नारंगी औऱ हरे रंग का होगा. इसपर सितारे भी बने होंगे जो ब्राजील के खेल के साथ जुड़े जीवंतता और स्वभाव को दर्शाता है. बॉल के निर्माताओं ने ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया है जिसमें संरचनात्मक नवीनता के साथ छह समान पैनल की अनूठी समरूपता के साथ एक अलग सतह की संचरना है जो पिच पर पकड़, वायुगतिकी (यरोडायनेमिक्स), स्पर्श और स्थिरता प्रदान करेगा.
बॉल का डिजाइन छह प्रोपेलर आकार वाले पॉल्युरेथेन पैनलों से किया गया है जो एक– दूसरे से थर्मली बंधे हैं औऱ अलग ज्यामिति को वहन करते हैं. बॉल का वजन 437 ग्राम है औऱ 0.2 फीसदी की दर से पानी को सोखने की क्षमता के कारण बारिश में भी यह अपना आकार, और वजन बनाए रख सकता है.
ब्रजूका एडिडास द्वारा बनाया गया बारहवां बॉल है लेकिन इनके द्वारा विश्व के लिए बनाई गई बॉल– जाबूलानी थी, जिसका इस्तेमाल 2010 में दक्षिण अफ्रीका में किया गया था.
ब्रजूका का मतलब है जीने का ब्राजीलियन तरीका. फुटबॉल का यह नाम सितंबर 2012 में एक मिलियन से अधिक फुटबॉल प्रशंसकों ने चुना था.
टूर्नामेंट के दौरान इस्तेमाल किया जाने वाला ब्रजूका बॉल नीले, नारंगी औऱ हरे रंग का होगा. इसपर सितारे भी बने होंगे जो ब्राजील के खेल के साथ जुड़े जीवंतता और स्वभाव को दर्शाता है. बॉल के निर्माताओं ने ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया है जिसमें संरचनात्मक नवीनता के साथ छह समान पैनल की अनूठी समरूपता के साथ एक अलग सतह की संचरना है जो पिच पर पकड़, वायुगतिकी (यरोडायनेमिक्स), स्पर्श और स्थिरता प्रदान करेगा.
बॉल का डिजाइन छह प्रोपेलर आकार वाले पॉल्युरेथेन पैनलों से किया गया है जो एक– दूसरे से थर्मली बंधे हैं औऱ अलग ज्यामिति को वहन करते हैं. बॉल का वजन 437 ग्राम है औऱ 0.2 फीसदी की दर से पानी को सोखने की क्षमता के कारण बारिश में भी यह अपना आकार, और वजन बनाए रख सकता है.
ब्रजूका एडिडास द्वारा बनाया गया बारहवां बॉल है लेकिन इनके द्वारा विश्व के लिए बनाई गई बॉल– जाबूलानी थी, जिसका इस्तेमाल 2010 में दक्षिण अफ्रीका में किया गया था.
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