इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने ग्लोबल पीस इंडेक्स 2014 जारी किया-(23-JUNE-2014) C.A

| Monday, June 23, 2014
इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने 18 जून 2014 को लंदन में ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआई) 2014 जारी किया. जीपीआई 2014 ने 22 पैमानों के आधार पर 162 देशों में शांति को मापने का काम किया. इन सभी 162 देशों में से भारत का स्थान 143वां है. ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआई)  2013 में भारत 141वें स्थान पर था.

ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआई) 2014 में अफगानिस्तान को पीछे छोड़ते हुए सीरिया दुनिया का सबसे अशांत देश बना जबकि दुनिया का सबसे शांत देश का स्थान आईसलैंड ने बनाए रखा. 

शांति के स्तरों में जॉर्जिया ने सबसे अच्छा सुधार दिखाया जबकि दक्षिण सूडान ने सबसे खराब प्रदर्शन किया. सूची में दक्षिण सूडान नीचे से तीसरे स्थान पर है.

ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआई) 2014 के मुख्य बिंदु 

जीपीआई 2014 में इस बात का खुलासा हुआ है कि पिछले सात वर्षों में दुनिया में शांति में कमी आई है जिसने दूसरे विश्व युद्ध के बाद से विश्व शांति में पिछले 60 वर्ष की परंपरा को तोड़ दिया. 
दुनिया में सभी देशों के लिए औसत वैश्विक शांति मानक 1.96 से बढ़कर 2.06 हो गया, जिससे पता चलता है कि दुनिया में शांति में कमी आई है. 
इसकी वजह सीरिया, दक्षिण सूडान और मध्य अफ्रीकी गणराज्य (सीएआर), यूक्रेन तनाव और अफगानिस्तान, इराक, फिलीपींस और लीबिया में बढ़ता आतंकवाद है.
हिंसा कै वैश्विक अर्थव्यवस्था पर वर्ष 2013 में 9.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर या विश्व जीडीपी का 11.3 फीसदी प्रभाव का आकलन किया गया था जो कि 2012 के मुकाबले 179 बिलियन अमेरिकी डॉलर अधिक है. प्रति व्यक्ति के लिहाज से हिंसा का आर्थिक प्रभाव प्रति व्यक्ति 1350 अमेरिकी डॉलर के बराबर है. 
वर्ष 2008 से 111 देशों में शांति का स्तर कम हुआ है जबकि सिर्फ 51 देश ही ऐसे हैं जहां शांति का स्तर बढ़ पाया है. 
शीर्ष 20 सबसे अधिक शांतिपूर्ण देशों में से 14 देशों के साथ यूरोप सबसे शांतिपूर्ण क्षेत्र होने की अपनी स्थित बनाए हुए है.
• 500 मिलियन लोग देशों में अस्थिरता और संघर्ष के जोखिम में जी रहे हैं जबकि उनमें से 200 मिलियन लोग गरीबी रेखा से नीचे गुजरबसर कर रहे हैं.
वर्ष 2008 से ग्लोबल पीस इंडेक्स के 22 मानकों में से सिर्फ चार मानक में ही सुधार दिखे हैं जबकि बाकी बचे 18 मानक में कमी दर्ज की गई है.
 
ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआई) 2014 की क्षेत्रवार विशेषताएं 
यूरोपः समग्र शांति स्तर के मामले में यह एक बार फिर विश्व का नेता बन कर उभरा है. इसमें भी स्कैंडिनेवियाई देशों ने खासतौर पर अच्छा प्रदर्शन किया है. बाल्कन क्षेत्र जो पारंपरिक तौर पर सबसे अशांत क्षेत्र करार दिया जाता है, में सबसे अधिक सुधार दर्ज किया गया है.
उत्तरी अमेरिकाः शांति के स्तर में थोड़ी कमी आई है, इसकी वजह खासतौर पर अमेरिका में आतंकी गतिविधियों में हुई बढ़ोतरी रही, इसमें अप्रैल 2013 में बोस्टन मैराथन हमलों भी शामिल हैं. इस क्षेत्र ने विश्व का दूसरा सबसे शांतिपूर्ण देश होने की अपनी स्थिति बनाए रखी है. इसमें कनाडा का योगदान महत्वपूर्ण है. 
एशिया प्रशांतः यह क्षेत्र दुनिया में सबसे शांतिपूर्ण क्षेत्रों में से एक है,यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बाद यह तीसरे स्थान पर है. साल 2013 के मुकाबले इसके शांति स्कोर में मामूली सी गिरावट दर्ज की गई है. इसकी वजह दक्षिणी चीन सागर और कोरियाई प्रायद्वीप में विकास से जुड़े विवाद है. 
दक्षिण एशियाः समग्र क्षेत्रीय रैंकिंग (ओवरऑल रिजनल रैंकिग्स) के मामले में यह क्षेत्र सबसे नीचे बना हुआ है, हालांकि इसका स्कोर अन्य क्षेत्रों की तुलना में अच्छा है. दक्षिण एशिया के सभी देशों का समग्र अंक खासकर घरेलू शांति के स्कोर में सुधार हुआ है. 
रूस और यूरेशियाः यह क्षेत्र रैंकिंग में मामूली सुधार कर पाया है और इस क्षेत्र के सभी बारह देशों में से चार देश की वजह से सकारात्मक बदलाव हुए हैं. इस क्षेत्र में रूस सबसे कम शांतिपूर्ण देश बना हुआ है और वैश्विक स्तर पर यह सबसे खराब प्रदर्शनकर्ता देशों में से एक है. सूची में यह 152वें स्थान पर है.
मध्य अमेरिका और कैरेबियाः इस क्षेत्र में शांति चुनौती पूर्ण है लेकिन यह क्षेत्र पिछले वर्ष के मुकाबले मामूली सुधार करने में कामयाब रहा है औऱ इसकी रैंक वैश्विक औसत से थोड़ी ही नीचे है.
उपसहारा अफ्रीकाः यह क्षेत्र क्षेत्रीय स्कोर में दूसरा सबसे बड़ी गिरावट दर्शाता है लेकिन फिर भी यह रूस और यूरेशिया, मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीका के साथ दक्षिण एशिया से बेहतर स्थिति में है. सबसे अधिक नकारात्मक स्कोर को बदलने वाले दस में चार देश इस क्षेत्र से आते हैं, शीर्ष पर दक्षिण सुडान और मध्य अफ्रीकी गणराज्य है.


भारत और ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआई) 2014
• 162 देशों में से भारत की रैंक 143 है और वर्ष2013 के मुकाबले यह दो स्थान नीचे आ गया है.
अन्य दक्षिण एशियाई देशों की रैंक इस प्रकार हैनेपाल (76), बंग्लादेश (98), श्रीलंका (105), पाकिस्तान (154) और अफगानिस्तान (161). 
वर्ष 2012 और 2013 में सैन्य खर्च में बढ़ोतरी और आंतरिक संघर्ष में आई तेजी के कारण चीन 108वें स्थान पर है. 
वर्ष 2013 में भारत में हिंसा के स्तर का राष्ट्रीय आर्थव्यवस्था पर 177 बिलियन अमेरिकी डॉलर बोझ पड़ने का अनुमान था. यह अनुमान भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 3.6 फीसदी या 145 अमेरिकी डॉलर प्रति व्यक्ति के बराबर है.
भारत लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय तनाव और व्यापक आंतरिक संघर्ष से जूझ रहा है. भारत की आंतरिक सुक्षा में सबसे बड़े खतरों में से एक माओवादी आंदोलन है और पड़ोसी देशों  के साथ चलने वाले छिटपुट संघर्ष भारत की बाह्य सुरक्षा के लिए खतरा हैं. 159 देशों के वैश्विक आतंकवाद सूचकांक में भारत चौथे स्थान पर है. 
अगर भारत अपने शांति के समग्र स्तर में सुधार ला सकता है तो विश्व प्रवाह से मिलने वाले लाभांश से वह अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकता है.

जोखिम मूल्यांकन मॉडल (Risk Assessment Models) 
इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (आईईपी) जिसने यह रिपोर्ट बनाई है, ने नई जोखिम मूल्यांकन मॉडल बनाया है जो आगामी दो वर्षों में वैसे दस देशों की पहचान करेगा जहां अशांति और हिंसा के स्तर में सबसे अधिक बढ़ोतरी हुई है. इन मॉलडों की 90 फीसदी सटीकता का इतिहास रहा है.

उच्च स्तर के रिस्क वाले देश में शामिल हैं-जांबिया, हैती, अर्जेंटिना, चाड, बोस्निया और हर्जेगोविना, नेपाल, ब्रून्डी, जॉर्जिया, लाइबेरिया और विश्व कप 2022 का मेजबान कतर. 

शीर्ष 10 देशों की सूची 



ग्लोबल पीस इंडेक्स से संबंधित मुख्य तथ्य  
विश्व शांति को मापने वाले ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआई) की शुरुआत वर्ष 2007 में हुई थी. वर्ष 2014 की सूची इस श्रेणी की आठवीं सूची है.

यह इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस द्वारा वैश्विक शांति मापने का दुनिया का सबसे प्रमुख जरिया है. इस इंडेक्स में 22 मानक हैं जिसमें देश द्वारा किया जाने वाला सैन्य खर्च, पड़ोसी देशों के साथ उसके संबंध औऱ 162देशों में जेलों की आबादी का प्रतिशत शामिल है.  

इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस 
आईईपी सिडनी स्थित एक अंतरराष्ट्रीय और स्वतंत्र थिंकटैक है जो सकारात्मक, हासिल किए जा सकने योग्य और मानवीय भलाई और प्रगति के ठोस उपायों के जरिए विश्व का फोकस शांति की तरफ करना चाहता है.


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