केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने एफडीआई और एफपीआई पर मायाराम समिति की सिफारिशें मानीं-(26-JUNE-2014) C.A

| Thursday, June 26, 2014
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 21 जून 2014 को अरविन्द मायाराम समिति की एफडीआई/एफपीआई को तर्कसंगत बनाने के लिए दी गई सिफारिशों को मान लिया. अरविन्द मायाराम केंद्रीय वित्त सचिव हैं.
पैनल ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफआईआई) के बीच स्पष्ट सीमांकन कर अस्पष्टता को दूर करने और उन्हें परिभाषित करने का सुझाव दिया है.
 
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर सिफारिशें (एफडीआई) 
•    किसी सूचीबद्ध कंपनी में 10 फीसदी या उससे अधिक के विदेशी निवेश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की तरह देखा जाएगा. 
•    एक निवेशक को 10 फीसदी से नीचे निवेश करने की इजाजत दी जा सकती है और इसे एफडीआई की तरह देखा जा सकेगा जो इस शर्त के अधीन होगा कि एफडीआई की हिस्सेदारी पहली खरीद की तारीख से एक वर्ष के भीतर 10 फीसदी या उससे अधिक तक पहुंच जाए. 
•    10 फीसदी के नीचे के स्तर पर मौजूदा एफडीआई के मामले में इसे 10 फीसदी या उससे अधिक के एफडीआई निवेश की जरूरत के बिना उसे एफडीआई माना जाएगा क्योंकि मूल निवेश ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश था.
•    कंपनी विशेष में एक निवेशक या तो एफपीआई या एफडीआई के जरिए निवेश कर सकता है, दोनों एक साथ नहीं. 
•    गैर सूचीबद्ध कंपनी में विदेशी निवेश को सीमा की परवाह किए बगैर एफडीआई के तौर पर ही माना जा सकता है.
विदेशी पोर्टफोलियो (एफपीआई) निवेश पर सिफारिशें  
•    इक्विटी शेयरों, दस फीसदी से कम इक्विटी भुगतान वाले अनिवार्य परिवर्तनीय तरजीही शेयरों/ डिबेंचरों द्वारा किसी भी निवेश को एफपीआई के तहत रखा जाएगा. 
•    सूचीबद्ध/ सूचीबद्ध होने वाली भारतीय निवेशक कंपनियों द्वारा परिवर्तनीय डिबेंचरों की श्रृंखला में 10 फीसदी से भी कम मूल्य का भुगतान किया जाता है तो इसे एफपीआई के तहत माना जाएगा.
•    प्राइवेट प्लेसमेंट/ अरेंजमेंट के तहत विदेशी निवेशकों द्वारा 10 फीसदी से कम पूंजी पर मूल्य का भुगतान को एफपीआई के तहत रखा जाएगा. 
•    10 फीसदी से कम वाले एफपीआई सीमा की व्यक्तिगत निगरानी का काम भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और एफपीआई की कुल सीमा की निगरानी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पहले की ही तरह करती रहेगी. 

अन्य सिफारिशें
•    फॉरेन वेंचर कैपिटल इनवेस्टर्स (एफवीसीआई) के मूल्य दिशानिर्देशों की छूट पर समिति ने सेबी, आरबीआई और डीईए की एक अलग टीम बनाने की सिफारिश की जो एफवीसीआई निवेश के सभी पहलुओं पर गौर करेगी और इसका पुनर्गठन करेगी ताकि अस्पष्ट मूल्य निर्धारण दिशानिर्देशों की वजह से होने वाले विदेशी मुद्रा के क्रयविक्रय को रोका जा सके.
•    एनआरआई निवेशकों पर समिति ने घरेलू कंपनियों जैसे गैरप्रत्यावर्तन निवेश की तहत व्यवहार करने और उन्हें एफडीआई से संबंधित स्थितियों से छूट देने की सिफारिश की.
•    समिति ने विदेशी कंपनी निकायों को विभिन्न रूपों में उपयुक्त सुरक्षा उपायों और जांच के साथ पुनर्जीवित करने की भी सिफारिश की ताकि एनआरआई निवेश को बढ़ावा मिल सके.



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