चीन के ग्रेट कैनाल और चीन, कजाकिस्तान
और किर्गिस्तान (China, Kazakhstan and Kyrgizstan) के
प्राचीन रेशम मार्ग को यूनेस्को (United Nations Educational, Scientific
and Cultural Organization, UNESCO) की विश्व विरासत स्थलों की सूची
में शामिल किया गया. इसके साथ ही गुजरात के पाटण में
स्थित ‘रानी की वाव’ (बावली) को भी
यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया गया.
विश्व विरासत समिति ने कतर की राजधानी दोहा में आयोजित 38वें सत्र के दौरान यूनेस्को की सूची को 22 जून 2014 को मंजूरी प्रदान की.
ग्रेट कैनाल विश्व का सबसे लंबा कृत्रिम जलमार्ग है. यह चीन की राजधानी बीजिंग (Beijing) और चीन के पूर्वी प्रांत झेजिंग (Zhejiang) में स्थित होंग्झू (Hangzhou) के मध्य स्थित है. इसकी लम्बाई 1794 किमी है.
चीन, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान ने संयुक्त रूप से रेशम मार्ग के हिस्से को विश्व विरासत स्थल में शामिल करने के लिए आवेदन किया था. यह मार्ग 2000 वर्ष पहले एशिया और यूरोप के बीच व्यापार एवं सांस्कृतिक आदान प्रदान का रास्ता रहा है.
आवेदन में इस पुराने व्यापार मार्ग से लगे 33 ऎतिहासिक स्थलों का नाम शामिल था जिनमें 22 चीन में, 8 कजाकिस्तान और तीन किर्गिस्तान में हैं. चीन ने पहली बार किसी विश्व विरासत स्थल के नामांकन के लिए दूसरे देशों के साथ मिलकर आवेदन किया है.
यूनेस्को द्वारा ‘विश्व धरोहर स्थल’ के पुष्टि की प्रक्रिया
• पहला कदम होता है, महत्वपूर्ण प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों की सूची बनाना.
• अगला कदम, देश विशेष का संबंधित विभाग यूनेस्को के विश्व घरोहर केंद्र में नामांकन प्रस्तुत करता है. केंद्र उसे सलाहकार निकाय ‘इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स’ (आईसीओएमओएस) के पास और ‘वर्ल्ड कंजर्वेशन यूनियन’ (आईयूसीएन) के पास मूल्यांकन के लिए भेजती है.
• यूनेस्को की ‘अंतरसरकारी विश्व धरोहर समिति’ बैठक कर यह फैसला करती है कि किस स्थल को ‘विश्व धरोहर की सूची’ में शामिल किया जा सकता है.
विदित हो कि चीन अपनी धीमी होती अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए रेशम मार्ग बहाल कर रहा है.
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