केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम
(एमएसएमई) मंत्री कलराज मिश्र ने भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute
of Science, आईआईएस), बेंगलूर परिसर में ‘उत्कृष्टता केंद्र’ (Centre of Excellence) का
उद्घाटन 17 जून 2014 को किया. यह
उत्कृष्टता केंद्र केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम
मंत्रालय (एमएसएमई) और भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलूर के बीच हुए समझौते (एमओयू)
के अधीन एक संयुक्त पहल है.
उत्कृष्टता केंद्र के कार्य
आईआईएस के अनुसंधानकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और प्राध्यापकों के ज्ञान एवं अनुभवों से एमएसएमई क्षेत्र में नवरचना, प्रतिस्पर्धा और विकास में योगदान देना.
उद्योगों के स्वदेशीकरण और मूल्य इंजीनियरिंग के लिए
प्रक्रिया और उत्पाद डिजाइन तथा विकास के लिए एक मंच के रूप में कार्य करना.
भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science), बेंगलूर
उद्देश्य उच्च शिक्षा और शोध के क्षेत्रों में योगदान देने के उद्देश्य से भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science, आईआईएस) की स्थापना कर्नाटक के बेंगलूर में 27 मई 1909 को गई.
संस्थान की स्थापना में जमशेद जी टाटा के सहकर्मी बुरोरजी पादशाह की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही. संस्थान की स्थापना में योगदान देने वाले अन्य प्रमुख व्यक्तियों में जमशेद जी टाटा, स्वामी विवेकानंद, जो सर्वविदित शिकागो यात्रा में उनके सहयात्री थे, मैसूर के महाराजा श्री कृष्णराज वाडयार – IV, उनकी माता और भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड कर्जन रहे.
भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science), बेंगलूर
उद्देश्य उच्च शिक्षा और शोध के क्षेत्रों में योगदान देने के उद्देश्य से भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science, आईआईएस) की स्थापना कर्नाटक के बेंगलूर में 27 मई 1909 को गई.
संस्थान की स्थापना में जमशेद जी टाटा के सहकर्मी बुरोरजी पादशाह की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही. संस्थान की स्थापना में योगदान देने वाले अन्य प्रमुख व्यक्तियों में जमशेद जी टाटा, स्वामी विवेकानंद, जो सर्वविदित शिकागो यात्रा में उनके सहयात्री थे, मैसूर के महाराजा श्री कृष्णराज वाडयार – IV, उनकी माता और भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड कर्जन रहे.
भारतीय विज्ञान संस्थान सार्वजनिक निजी क्षेत्र की साझेदारी का पहला उदाहरण है.
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