प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान की दो दिवसीय राजकीय यात्रा संपन्न-(18-JUNE-2014) C.A

| Wednesday, June 18, 2014
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान की दो दिवसीय राजकीय यात्रा 15-16 जून 2014 को संपन्न हुई. प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद नरेंद्र मोदी की यह पहली विदेश यात्रा थी.
 
भारत के प्रधानमंत्री के साथ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत दोभाल, विदेश सचिव सुजाता सिंह तथा भारत सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी गए.

नरेंद्र मोदी के भूटान यात्रा की मुख्य गतिविधियां   
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी इस यात्रा के दौरान 16 जून 2014 को ग्यालयोंग त्सोगखंग में संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित किया.
उन्होंने 600 मेगावाट की खोलोंगचु जल विद्युत परियोजना की आधारशिला रखी जो भारत एवं भूटान के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों अर्थात एसजेवीएनएल और ड्रक ग्रीन पावर कार्पोरेशन के बीच एक संयुक्त उद्यम है. पूर्वी भूटान के त्रेशियांगत्से में स्थित इस परियोजना का निर्माण वर्ष 2014 के उत्तरार्ध में शुरू हो जाएगा.
प्रधानमंत्री ने उच्चतम न्यायालय के भवन का उद्घाटन किया जिसका निर्माण भारत सरकार की ओर से 793.54 मिलियन रूपए की सहायता से किया गया.
उन्होंने भूटान के नेताओं से बातचीत में भारत की पिछली सरकार के सभी समझौतों को पूरा करने का संकल्प व्यक्त किया. 
चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध रखने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने भूटान को आश्वासन दिया कि सरकार में परिवर्तन होने से भारत-भूटान संबंधों की गति पर कोई असर नहीं पड़ेगा. 
भूटान की राजधानी थिम्पू में भूटान की संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर भारत प्रगति करेगा तो उसके पड़ोसी देशों के विकास पर इसका सीधा असर पड़ेगा. 
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की ताकत और समृद्धि सार्क देशों के हित में होगी और आपसी सहयोग बढ़ाया जाएगा. 
उन्होंने भूटान में सिर्फ सात वर्ष की अवधि में राजतंत्र की जगह लोकतंत्र की स्थापना हो जाने की सराहना की जिसमें वहां की सरकार ने काफी सूझबूझ का परिचय दिया.  
चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने दक्षिण एशियाई देशों की बेहतरी और पड़ोसी धर्म के निर्वहन के लिए एक सशक्त भारत की वकालत की. 
प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि भारत के हिमालय क्षेत्र से लगे सभी पूर्वोत्तर राज्यों और भूटान के बीच वार्षिक खेल प्रतियोगिता आयोजित होनी चाहिए जिससे दोनों देशों के बीच संबंध बढ़े. 
उन्होंने कहा कि भारत ने हिमालय क्षेत्र के जीवन और जलवायु परिवर्तन के अध्ययन के लिए एक हिमालय अध्ययन क्षेत्र स्थापित करने का फैसला किया है जिससे भूटान को भी लाभ होगा. 
प्रधानमंत्री ने भारत भूटान सहयोग पर जोर देते हुए कहा कि पन बिजली परियोजनाओं के क्षेत्र में दोनों देशों की पहल मानवता को जलवायु परिवर्तन के नुकसानदायक असर से बचाने की दिशा में योगदान है.
नरेंद्र मोदी ने 600 मेगावाट क्षमता की खोलोंग्चू पन बिजली परियोजना की आधारशिला भी रखी. 
उन्होंने भूटान में शिक्षा और सूचना तथा प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में विशेष रूप से क्षमता निर्माण के प्रति भारत की वचनबद्धता व्यक्त की. 
चर्चा के दौरान दोनों देश अपने राष्ट्रीय हितों से संबंधित मुददों पर एक दूसरे के साथ समन्वय और सहयोग जारी रखने पर सहमत हुए. 
दोनों पक्षों ने पनबिजली क्षेत्र में सहयोग और उससे होने वाले आपसी लाभ के महत्व को स्वीकार करते हुए दस हजार मेगावाट बिजली पैदा करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रति वचनबद्धता दोहराई.
भारत और भूटान ने एक -दूसरे के विरूद्ध आतंक फैलाने के लिए आतंकवादियों को अपनी जमीन का इस्तेमाल नहीं करने देने पर सहमति व्यक्त की. 
दोनों देशों ने आपसी व्यापार और निवेश बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की है.  
भारत, भूटान को पांच खाद्य वस्तुओं के निर्यात पर किसी तरह का प्रतिबंध या सीमा भी नहीं लगाएगा. ये वस्तुएं हैं- दूध पाउडर, गेहूं, खाद्य तेल, दालें और चावल. 
दोनों देशों ने विचारों का आदान - प्रदान किया तथा द्विपक्षीय संबंधों एवं आर्थिक सहयोग के अलावा क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय मंचों में सहयोग पर चर्चा की. उन्होंने दोनों देशों की सरकारों एवं लोगों के बीच विद्यमान मैत्री एवं आपसी समझ के मजबूत ऐतिहासिक‍ संबंधों को याद किया.
प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय संबंधों की उत्कृष्ट स्थिति पर संतोष व्यक्त किया तथा दोनों देशों के बीच विशेष मैत्री को और सुदृढ़ करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया.
भूटान की शाही सरकार एवं लोगों की ओर से ल्योंछेन त्शेरिंग टोबगे ने 1961 में पहली पंचवर्षीय योजना के समय से ही उदार विकास सहायता के लिए भारत की सरकार एवं लोगों की प्रशंसा की. 
भारत की सहायता एवं समर्थन से भूटान ने जो चहुंमुखी सामाजिक - आर्थिक प्रगति की है उस पर दोनों नेताओं ने संतोष व्यक्त किया. 
ल्योंछेन त्शेरिंग टोबगे ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 45 बिलियन रूपए के आबंटन के लिए तथा भूटान की शाही सरकार की आर्थिक उत्प्रेरण योजना के लिए 5 बिलियन रूपए के आबंटन के लिए भारत सरकार का धन्यवाद किया. 
प्रधानमंत्री ने भूटान की शाही सरकार की 11वीं पंचवर्षीय योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए भूटान की सहायता करने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया.
भारत सरकार की ओर से नरेंद्र मोदी ने भूटान के सामाजिक - आर्थिक विकास में उसका विशेष साझेदार होने पर संतोष व्यक्त किया तथा ल्योंछेन त्शेरिंग टोबगे को आश्वस्त किया कि भूटान में शिक्षा एवं आई टी क्षेत्रों में विशेष रूप से क्षमता निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करना जा‍री रखेगा.
दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच जल विद्युत क्षेत्र से उत्त्पन्न परस्पर लाभ एवं सहयोग के महत्व को स्वीकार किया तथा इस क्षेत्र में जो प्रगति हो रही है उस पर संतोष व्यक्त किया. उन्होंने 10 हजार मेगावाट के लक्ष्य को प्राप्त करने संबंधी अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया.
भूटान में शिक्षा के विस्तार और क्षमता विकास को दृष्टिगत रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में शिक्षा ग्रहण कर रहे भूटानी छात्रों के लिए  नेहरू वांगचुक छात्रवृत्ति की राशि दोगुना अर्थात प्रति वर्ष 20 मिलियन रूपए करने और भूटान के सभी 20 जिलों में ई-पुस्तकालय स्थापित करने के लिए आर्थिक सहयोग देने की घोषणा की.
दोनों पक्षों ने परस्पर सुरक्षा से संबंधित दोनों देशों के बीच सहयोग पर अपना संतोष व्यक्त किया. वे अपने - अपने राष्ट्रीय हितों से संबंधित मुद्दों पर एक दूसरे के साथ घनिष्ठ समन्वय एवं सहयोग को जारी रखने तथा एक दूसरे के हित के विपरीत एक दूसरे के भूभाग का प्रयोग करने की अनुमति न देने के लिए सहमत हुए.

नरेंद्र मोदी के भूटान यात्रा का महत्व 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा से दोनों देशों के आपसी संबंध और मजबूत हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने पहले विदेश दौरे के लिए भूटान का चयन विदेश नीति के मोर्चे पर एक अच्छी शुरुआत है.
 
भूटान, भारत का अकेला ऐसा पड़ोसी देश है, जिसके साथ आपसी रिश्तों में किसी तरह की कोई मनमुटाव नहीं है. भारत का अपने अन्य पड़ोसी देशों यथा-पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका, सभी के साथ कुछ न कुछ समस्याएं हैं.

भारत अभी तक भूटान पहुंचने का एकमात्र सप्लाई रूट है, जबकि भूटान भारत के ऊर्जा संकट को कुछ कम कर सकता है. भविष्य की मजबूत आधारशिला दरअसल इसी परस्पर निर्भरता को बढ़ाकर रखी जा सकती है. 

यदि भूटान के आर्थिक हित भारत के साथ जुड़ते हैं, तो यह दोनों देशों के लिए दीर्घकालिक फायदे की बात तो होगी ही, साथ ही दोनों देशों को लंबे समय तक एक-दूसरे से जोड़े भी रखेगी.


भारत की तरह भूटान भी चीनी सेना की घुसपैठ से काफी पीड़ित है, यह बात भी दोनों को करीब लाती है.


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