49वें ज्ञानपीठ पुरस्कार हेतु 20 जून 2014 को हिन्दी के कवि केदारनाथ सिंह के नाम की घोषणा की गई. वर्ष 2013 के लिए घोषित 49वें ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा
भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई ने की. केदारनाथ सिंह इस पुरस्कार को
प्राप्त करने वाले हिन्दी के 10वें रचनाकार हैं. उन्हें
पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये, प्रशस्ति
पत्र, वाग्देवी की प्रतिमा एवं शाल भेंट किये जायेंगें.
केदारनाथ सिंह से संबंधित मुख्य तथ्य
हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार केदारनाथ सिंह का जन्म वर्ष 1934 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गाँव में हुआ. इन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (वाराणसी) से वर्ष 1956 में हिन्दी में एम.ए. और वर्ष 1964 में पी-एच डी की उपाधि प्राप्त की.
केदारनाथ सिंह जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (दिल्ली) के हिन्दी विभाग में प्राध्यापक एवं अध्यक्ष रहे.
प्रमुख कृतियां
कविता संग्रह
अभी बिल्कुल अभी
जमीन पक रही है
यहाँ से देखो
बाघ
अकाल में सारस
उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ
तालस्ताय और साइकिल
आलोचना
कल्पना और छायावाद
आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान
मेरे समय के शब्द
मेरे साक्षात्कार
संपादन
ताना-बाना
समकालीन रूसी कविताएँ
कविता दशक
साखी
शब्द
प्रमुख सम्मान
मैथिलीशरण गुप्त सम्मान
कुमारन आशान पुरस्कार
जीवन भारती सम्मान
दिनकर पुरस्कार
साहित्य अकादमी पुरस्कार
व्यास सम्मान
ज्ञानपीठ पुरस्कार से संबंधित मुख्य तथ्य
• ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है.
• ज्ञानपीठ पुरस्कार ‘भारतीय ज्ञानपीठ न्यास’ द्वारा प्रतिवर्ष दिया जाता है.
• यह पुरस्कार भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाओं में से किसी भाषा के लेखक को प्रदान किया जाता है.
• वर्ष 2011 से पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपए नकद, शॉल व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है. इसके पहले इस सम्मान के तहत 7 लाख रुपए नकद दिए जाते थे.
• वर्ष 2011 में भारतीय ज्ञानपीठ ने पुरस्कार राशि को 7 से बढ़ाकर 11 लाख रुपए किए जाने का निर्णय लिया था.
• वर्ष 1965 में 1 लाख रुपए की पुरस्कार राशि से प्रारंभ हुए, इस पुरस्कार को वर्ष 2005 में 7 लाख रुपए कर दिया गया.
• प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था.
• वर्ष 1982 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिए दिया जाता था. लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिए दिया जाने लगा.
विदित हो कि केदारनाथ सिंह इस पुरस्कार को हासिल करने वाले हिन्दी के 10वें साहित्यकार हैं. इससे पूर्व हिन्दी साहित्य के जाने माने हस्ताक्षर सुमित्रानंदन पंत, रामधारी सिंह दिनकर, सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन अज्ञेय, महादेवी वर्मा, नरेश मेहता, निर्मल वर्मा, कुंवर नारायण, श्रीलाल शुक्ल और अमरकांत को यह पुरस्कार दिया जा चुका है.
हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार केदारनाथ सिंह का जन्म वर्ष 1934 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गाँव में हुआ. इन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (वाराणसी) से वर्ष 1956 में हिन्दी में एम.ए. और वर्ष 1964 में पी-एच डी की उपाधि प्राप्त की.
केदारनाथ सिंह जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (दिल्ली) के हिन्दी विभाग में प्राध्यापक एवं अध्यक्ष रहे.
प्रमुख कृतियां
कविता संग्रह
अभी बिल्कुल अभी
जमीन पक रही है
यहाँ से देखो
बाघ
अकाल में सारस
उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ
तालस्ताय और साइकिल
आलोचना
कल्पना और छायावाद
आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान
मेरे समय के शब्द
मेरे साक्षात्कार
संपादन
ताना-बाना
समकालीन रूसी कविताएँ
कविता दशक
साखी
शब्द
प्रमुख सम्मान
मैथिलीशरण गुप्त सम्मान
कुमारन आशान पुरस्कार
जीवन भारती सम्मान
दिनकर पुरस्कार
साहित्य अकादमी पुरस्कार
व्यास सम्मान
ज्ञानपीठ पुरस्कार से संबंधित मुख्य तथ्य
• ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है.
• ज्ञानपीठ पुरस्कार ‘भारतीय ज्ञानपीठ न्यास’ द्वारा प्रतिवर्ष दिया जाता है.
• यह पुरस्कार भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाओं में से किसी भाषा के लेखक को प्रदान किया जाता है.
• वर्ष 2011 से पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपए नकद, शॉल व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है. इसके पहले इस सम्मान के तहत 7 लाख रुपए नकद दिए जाते थे.
• वर्ष 2011 में भारतीय ज्ञानपीठ ने पुरस्कार राशि को 7 से बढ़ाकर 11 लाख रुपए किए जाने का निर्णय लिया था.
• वर्ष 1965 में 1 लाख रुपए की पुरस्कार राशि से प्रारंभ हुए, इस पुरस्कार को वर्ष 2005 में 7 लाख रुपए कर दिया गया.
• प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था.
• वर्ष 1982 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिए दिया जाता था. लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिए दिया जाने लगा.
विदित हो कि केदारनाथ सिंह इस पुरस्कार को हासिल करने वाले हिन्दी के 10वें साहित्यकार हैं. इससे पूर्व हिन्दी साहित्य के जाने माने हस्ताक्षर सुमित्रानंदन पंत, रामधारी सिंह दिनकर, सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन अज्ञेय, महादेवी वर्मा, नरेश मेहता, निर्मल वर्मा, कुंवर नारायण, श्रीलाल शुक्ल और अमरकांत को यह पुरस्कार दिया जा चुका है.
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