भारत 13 जून 2014 को
वाशिंगटन एकॉर्ड का स्थायी हस्ताक्षरकर्ता बन गया. इस पर हस्ताक्षर वेलिंगटन,
न्यूजीलैंड में हुए डब्ल्यूए सदस्य देशों की अंतरराष्ट्रीय
इंजीनियरिंग गठबंधन की बैठक में राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड ने किया.
स्थायी हस्ताक्षरकर्ता बनने के साथ ही भारत वाशिंगटन एकॉर्ड (डब्ल्यूए) के 17 देशों के स्थायी हस्ताक्षरकर्ता समूह का हिस्सा बन गया. हस्ताक्षरकर्ता बनने के बाद भारत के तकनीकी और इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए वैश्वि स्तर पर रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी होगी.
एनबीए मान्यका प्रणालियों और प्रथाओं के व्यापक ऑडिट के लिए दिसंबर 2013 और जनवरी 2014 में वाशिंगटन एकॉर्ड के इंटरनेशनल इंजीनियरिंग अलायंस (आईईए) सेक्रेटेरियट ने समीक्षा टीम भेजा था. इस टीम ने अपनी रिपोर्ट मार्च 2014 में दी थी.
स्थायी हस्ताक्षरकर्ता बनने के साथ ही भारत वाशिंगटन एकॉर्ड (डब्ल्यूए) के 17 देशों के स्थायी हस्ताक्षरकर्ता समूह का हिस्सा बन गया. हस्ताक्षरकर्ता बनने के बाद भारत के तकनीकी और इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए वैश्वि स्तर पर रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी होगी.
एनबीए मान्यका प्रणालियों और प्रथाओं के व्यापक ऑडिट के लिए दिसंबर 2013 और जनवरी 2014 में वाशिंगटन एकॉर्ड के इंटरनेशनल इंजीनियरिंग अलायंस (आईईए) सेक्रेटेरियट ने समीक्षा टीम भेजा था. इस टीम ने अपनी रिपोर्ट मार्च 2014 में दी थी.
वाशिंगटन एकॉर्ड के बारे में
वाशिंगटन एकॉर्ड दुनिया के प्रमुख देशों के बीच होने वाला एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार इंजीनियरों की गतिशीलता और गुणवत्ता को बढ़ावा देता है. एकॉर्ड के चार्टर को इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए न्यूनतम गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त मान्यता मानकों को स्थापित करने की जरूरत है.
वाशिंगटन एकॉर्ड दुनिया के प्रमुख देशों के बीच होने वाला एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार इंजीनियरों की गतिशीलता और गुणवत्ता को बढ़ावा देता है. एकॉर्ड के चार्टर को इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए न्यूनतम गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त मान्यता मानकों को स्थापित करने की जरूरत है.
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