विश्व की दिग्गज कंपनी एचएसबीसी बैंक ने 24 जून 2014 को 12.5 अरब डॉलर के
लिए लिंकटेंस्टीन के एलजीटी बैंक को अपनी स्विस निजी बैंकिंग परिसंपत्तियां बेच
दीं. इस सौदे के तहत, एलजीटी बैंक प्रबंधन के तहत परिसंपत्ति
के 10 अरब स्विस फ्रैंक्स और करीब 70 कर्मचारियों
अधिगृहित करेगा.
बंद करने पर, अधिगृहित व्यापार एलजीटी बैंक
(स्विट्जरलैंड) में एकीकृत किया जाएगा जिसके पास 2013 के अंत
में 21 अरब स्विस फ्रैंक (23.5 अरब
डॉलर) का एएमयू था.
एचएसबीसी प्राइवेट बैंक (सुइस) एसए ब्रिटेन स्थित
एचएसबीसी होल्डिंग पीएलसी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है जबकि एलजीटी
बैंक (स्विट्जरलैंड) लिमिटेड लिंकटेंस्टीन के एलजीटी समूह फाउंडेशन की पूर्ण
स्वामित्व वाली सहयक कंपनी है.
इस सौदे का असर भारत की काले धन के खिलाफ लड़ाई पर पड़
सकता है क्योंकि एचएसबीसी– एलजीटी सौदा ऐसे समय पर हुआ है जब भारतीय
सरकार विदेशों में भारतीयों द्वारा कथित काले धन का पता लगाने का प्रयास कर रही
है.
विदेशों में भारतीयों द्वारा जमा कथित काले धन की जांच
स्विट्जरलैंड में एचएसबीसी जेनेवा और एलजीटी बैंक के जरिए किया जा रहा है. हालांकि, इन बैंकों में भारतीय खाता धारकों की सूची भारत को अप्रत्यक्ष माध्यम से
ही मिलेगी– एचएसबीसी की सूची फ्रांस से और एलजीटी की सूची
जर्मनी से दी जाएगी.
लेकिन स्विट्जरलैंड के अधिकारियों ने इन मामलों में किसी
भी प्रकार की सहायता या जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है. भारतीय अधिकारियों
की मदद से इनकार की वजह है इन अधिकारियों ने जर्मनी और फ्रांस द्वारा चुराए गए
आंकड़ों के आधार पर अनुरोध किया था. जर्मनी और फ्रांस को गुप्त खाता धारकों की
सूची कुछ बैंक कर्मचारियों द्वारा डेटा चुराने से मिली थी.
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