विश्व विटीलिगो दिवस 25 जून 2014
को दुनिया भर में मनाया गया. यह दिन खास तौर पर विटीलिगो से पीड़ित
लोगों को समर्पित रहा.
दुनिया ने 2012 से यह
दिन बनाना शुरु किया था. इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शोध और जागरूकता अभियान के
जरिए विटीलिगो बीमारी से जुड़ी मिथकों और वास्तविकता पर फोकस करना और इससे संबंधित
शोध और शिक्षा के लिए जरूरी पैसा जुटाना.
अमेरिका के वीटिलीगो मरीज नेटवर्क के संस्थापक स्टीव
हारागाडॉन पहले व्यक्ति थे जिन्होंने विश्व विटीलीगो दिवस मनाने का विचार पेश किया
था. बाद में इस विचार को विटीलिगो मरीज ओगो माड्यूवेसी ने विकसित कर अंतिम रूप दिया.
ओगो नाइजीरिया में विटीलीगो सपोर्ट एंड अवेयरनेस फाउंडेशन के संस्थापक और
कार्यकारी निदेशक हैं.
भारत में विश्व विटीलिगो
दिवस
भारत में यह दिन पीजीआई, चंडीगढ़
के त्वचा विज्ञान विभाग ने मनाया. इस दिन सुकना झील पर बीमारी से जुड़े मिथकों को
उजागर करने के लिए रोड शो किया गया.
विटीलिगो के बारे में
विटीलिगो एक बढ़ने वाला त्वचा रोग है जिसमें रोगी अपने
प्राकृतिक त्वचा रंग को जीवनभर के लिए खो बैठता है. दुनिया भर में 100
मिलियन से भी ज्यादा लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं जिसकी वजह से वे
बहिष्कार, भेदभाव के शिकार होते हैं. कई रोगियों को उनका घर,
परिवार और आजीविका से भी हाथ धोना पड़ा. फिर भी अभी तक इस बीमारी का
कोई इलाज नहीं है.
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