भारत-अमेरिका-जापान के मध्य नई दिल्ली में आयोजित होने वाली 5वीं त्रिपक्षीय वार्ता स्थगित-(20-JUNE-2014) C.A

| Friday, June 20, 2014
भारत-अमेरिका-जापान के मध्य होने वाली 5वीं त्रिपक्षीय वार्ता स्थगित कर दी गई. यह वार्ता नई दिल्ली में 24 जून 2014 को होनी थी. इस वार्ता की दूसरी तिथि बाद में घोषित की जानी है. यह जानकरी 18 जून 2014 को दी गई.

भारत-अमेरिका-जापान के मध्य चौथी त्रिपक्षीय वार्ता वाशिंगटन में मई 2013 में और प्रथम वार्ता वाशिंगटन में वर्ष 2011 में आयोजित की गई थी. चौथी त्रिपक्षीय वार्ता में आपसी हितों के कई क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई. इसमें बेहतर वाणिज्यिक साझेदारी और समुद्री सुरक्षा के मसलों पर प्रमुखता से बातचीत की गई.
 
भारत-अमेरिका-जापान त्रिपक्षीय वार्ता 
भारत-अमेरिका-जापान के मध्य पहली त्रिपक्षीय वार्ता वाशिंगटन में  19 दिसंबर 2011 को आयोजित की गई थी. इस दौरान तीनों देशों के बीच एशिया प्रशांत क्षेत्र के कई सारे मुद्दों पर चर्चा की गई. इसके पहले यह वार्ता आठ अक्टूबर 2011 को टोक्यो में होने वाली थी, लेकिन अमेरिका के अनुरोध पर इसे स्थगित कर दिया गया था. 

भारत-अमेरिका-जापान त्रिपक्षीय वार्ता की पेशकश टोक्यो द्वारा की गई थी और तत्कालीन भारत की विदेश सचिव निरुपमा राव के अप्रैल 2011 में हुए जापान दौरे के दौरान इसे अंतिम रूप दिया गया था. 

विश्लेषण 
भारत-अमेरिका-जापान त्रिपक्षीय वार्ता घोषित पूर्वोन्मुखी नीति (लुक ईस्ट पॉलिसी) और साथ ही उत्तर एशिया के साथ जुड़ाव से आगे जाने के नई दिल्ली के प्रयास का भी हिस्सा है.  इस त्रिपक्षीय वार्ता की पहली बैठक ऐसे समय में हुई, जब पूर्वी एशिया में चीन तेजी के साथ अपना प्रभुत्व बढ़ा रहा था, और अमेरिका एशिया प्रशांत क्षेत्र के साथ अपने जुड़ाव को बढ़ाना चाहता है. एशिया प्रशांत क्षेत्र में कुछ तेजी के साथ बढ़ रही अर्थव्यवस्थाएं भी हैं. अमेरिका इस क्षेत्र में एक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए भारत को भी बढ़ावा दे रहा है.

भारत-अमेरिका-जापान की प्रथम त्रिपक्षीय वार्ता ने पूरी दुनिया में और विशेशकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपना रणनीतिक सहयोग बढ़ाने की शुरुआत का संकेत दे दिया था. इसके साथ ही इस वार्ता ने यह बात भी दुनिया के सामने रखी कि ये तीनों ही देश आधुनिक उदार लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश हैं और समान राजनीतिक व सामाजिक मूल्यों में विश्वास रखते हैं, इसलिए वे न केवल परस्पर सहज मित्र बन सकते हैं, बल्कि अपने आपसी सम्बंधों को और भी अधिक घनिष्ठ बना सकते हैं.

यह एक विदित सत्य है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन अपनी शक्ति का विस्तार कर रहा है. इसके कारण जापान, भारत व ऑस्ट्रेलिया जैसे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ- साथ अन्य वैश्विक देशों का आशंकित होना वाजिब है.



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