महाराष्ट्र राज्य मंत्रिमंडल ने 13 जून 2014 को काफी
समय से लंबित थाणे जिले का विभाजन कर पालघर को अलग जिला बनाने की मंजूरी दी.
विभाजन 1 अगस्त 2014 को होगा और इसके
साथ ही पालघर राज्या का 36वां जिला बन जाएगा.
इसके अलावा, राज्य सरकार ने पालघर में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 450 करोड़ रुपये देने का भी फैसला किया.
इस विभाजन के बाद भी वे क्षेत्र जो थाणे जिले का हिस्सा रहेंगें वे हैं– थाणे, कल्याण, अंबरनाथ, उल्हासनगर, भिवंडी, मुरबाद और शाहापुर जबकि पालघर में आने वाले क्षेत्र होंगें– पालघर, जवाहर, मोखादा, तलसारी,वसई, वाडा, दहानू और विक्रमगढ़.
इसके अलावा, राज्य सरकार ने पालघर में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 450 करोड़ रुपये देने का भी फैसला किया.
इस विभाजन के बाद भी वे क्षेत्र जो थाणे जिले का हिस्सा रहेंगें वे हैं– थाणे, कल्याण, अंबरनाथ, उल्हासनगर, भिवंडी, मुरबाद और शाहापुर जबकि पालघर में आने वाले क्षेत्र होंगें– पालघर, जवाहर, मोखादा, तलसारी,वसई, वाडा, दहानू और विक्रमगढ़.
विभाजन के बाद दोनों जिलों की जनसंख्या
• थाणे जिला– लगभग 80.58 लाख
• पालघाट जिला– लगभग 1.10 करोड़
थाणे: विभाजन से पहले वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, ठाणे 15 तालुकाओँ और 1995 राजस्व गांवों के साथ 9 राजस्व उप–प्रभागों वाला भारत का सबसे अधिक आबादी वाला जिला है.
विभाजन की मांग के बारे में
बेहतर प्रशासन की मांग को लेकर इस जिले का विभाजन वर्ष 1994 से लंबित था. थाणे जिले के विभाजन की मांग वर्ष 1980 के दशक के मध्य से ही हो रही थी. इसी मांग को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने विभाजन का व्यवहार्यता अध्ययन भी करवाया था. लेकिन विभाजन का फैसला अक्टूबर 2012 में कोंकण संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में स्थापित समिति के आधार पर किया गया.
इस बीच, विदर्भ में नए जिलों के गठन की मांग के बाद राज्य सरकार ने भी नए जिलों के सृजन की मांग पर गौर करने के लिए समिति गठित करने का फैसला किया.
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