तीसरे राष्ट्रीय लोकअदालत में 56000 मामलों का निपटारा, अंतिम निपटान के लिए 265 करोड़ रुपये वितरित-(17-FEB-2015) C.A

| Tuesday, February 17, 2015
14 फरवरी 2015 को तीसरे राष्ट्रीय लोकअदालत में एक ही दिन में 56000 मामलों का फैसला किया गया. साथ ही इसमें बैंक वसूली और चेकों के बाउंस होने के मामले में अंतिम निपटान के लिए किए गए दावों के लिए 265 करोड़ रुपये भी वितरित किए गए. 
तीसरे लोक अदालत में असम और उत्तर प्रदेश को छोड़कर सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, जिला अदालतों और तालुका स्तर के अदालतों में लंबित मामलों पर सुनवाई की गई. कई बैंकों, वित्तीय संस्थानों और अन्यों ने इसमें हिस्सा लिया. 
यह भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एचएल दत्तू और सुप्रीम कोर्ट के जज टीएस ठाकुर के नेतृत्व में आयोजित किया गया था.
तीसरे लोकअदालत का आयोजन खासकर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1981 की धारा 138 के तहत राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (NALSA) ने बैंक रिकवरी, चेक बाउंस मामलों से संबंधित मामलों के निपटारे के लिए किया था.
लोक अदालतों के बारे में
लोकअदालत (जनता की अदालत) सुलह और समझौते के जरिए विवाद को सुलझाने का काम करता है. लोकअदालत नियमित अदालतों में लंबित उन मामलों की सुनवाई करता है जिनका निपटारा सुलह और समझौते से किया जा सके.
लोकअदालत का फैसला विवाद के पक्षों पर बाध्यकारी होता है और उसका आदेश कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से निष्पादन में सक्षम हैं. लोकअदालत के फैसले के खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकती है. 
पहला राष्ट्रीय लोक अदालत नवंबर 2013 में आयोजित किया गया था और उसमें विभिन्न अदालतों में लंबित रिकॉर्ड 71.50 लाख मामलों का निपटारा किया गया था.
दूसरा राष्ट्रीय लोक अदालत दिसंबर 2014 में आयोजित किया गया था और उसमें 1.25 करोड़ लंबित मामलों पर फैसला सुनाया गया था.

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