आर्थिक समीक्षा 2014-15: मुख्य बिंदु-(28-FEB-2015) C.A

| Saturday, February 28, 2015
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15, 27 फरवरी 2015 को लोकसभा में पेश किया. केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15 में मुख्य रूप से निम्न बातों को सामने रखा गया:
• वित्त वर्ष 2015-16 में देश की विकास दर 8.1-8.5 प्रतिशत से रहने का अनुमान.
• वित्त वर्ष 2015-16 में कृषि विकास दर 4 प्रतिशत के पूर्व निर्धारित लक्ष्य से कम रहने का अनुमान.
• आर्थिक समीक्षा 2014-15 के अनुसार, भारत एक ऐसी स्थिति में आ पहुंचा है, जहां से यह द्विअंकीय मध्यावधि विकास पथ पर अग्रसर हो सकता है, जिससे देश में 'हर आंख से आंसू पोंछने' के बुनियादी उद्देश्य को हासिल किया जा सकेगा.
• आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15 के अनुसार वृहद अर्थव्यवस्था  में ज्यादा स्थायित्व आया है, सुधार शुरू किये गये हैं, और इसके फलस्वरूप अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटती दिख रही है.
• वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वर्ष 2014-15 की तुलना में करीब 0.6 -1.1 प्रतिशत अधिक रहने का अनुमान. वर्ष 2014-15 के नए अनुमानों को आधार मानते हुए वर्ष 2015-16 में बाजार मूल्य पर वृद्धि दर 8.1- 8.5 प्रतिशत रहने की सम्भावना.
• बजट में वित्तीय समावेशन की प्रक्रिया जारी रहने पर जोर, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा वर्ष 2014 के लिए कुल राजस्वे से जीडीपी अनुपात का अनुमान 19.5 प्रतिशत व्यक्त किया गया.
• वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक को कानून में परिवर्तित करने की आवश्यकता पर जोर.
• अर्थव्यवस्था से भारतीय रिजर्व बैंक का मुद्रास्फीति लक्ष्य 0.5-1.0 प्रतिशत तक प्रभावित होने की सम्भावना होती है और इससे आर्थिक नीति को और ज्यादा सरल बनाने का मार्ग प्रशस्त होता है.
• कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से व्यापक ढंग से निपटने और कृषि क्षेत्र में चार प्रतिशत वृद्धि निरंतर आधार पर सुनिश्चित करने पर जोर.
• वित्तीय विश्वनीयता और मध्यावधि लक्ष्यों के बीच तालमेल सुनिश्चित करने के लिए, आगामी बजट में वित्तीय और राजस्व घाटे में कमी लाने के लिए खर्च पर नियंत्रण की प्रक्रिया शुरू होगी.
• प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया' को हासिल करने के लिए स्किल इंडिया के उद्देश्‍य को उच्च प्राथमिकता दी गयी है.
• भारतीय विनिर्माण क्षेत्र वर्तमान में जिस नकारात्माक संरक्षण का सामना कर रहा है, उसे दूर करने के उपाय तत्का्ल लागू करने की योजना.
• भारत के निर्यात में गिरावट आने के कारण कारोबार का वातावरण लगातार चुनौतिपूर्ण होता जा रहा है. इसे दूर करने पर जोर.
• भारत ने पर्यावरण के अनुकूल अनेक कदम उठाये हैं. जलवायु परिवर्तन पर आगामी पेरिस वार्ता में यह सकारात्मक योगदान दे सकता है.
• महिलाओं की स्थिति और उनसे होने वाले व्यवहार में सुधार लाना विकास की प्रमुख चुनौती है.
• परिवार नियोजन के लक्ष्यों और प्रोत्साहनों के प्रावधान अवांछित रूप से महिला नसबंदी पर केंद्रित हैं. परिवार नियोजन कार्यक्रम महिला के प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों के अनुरूप होने चाहिये.
• 14वें वित्त आयोग ने केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व के बंटवारे के लिए दूरगामी परिवर्तनों के सफल कार्यान्वयन का सुझाव दिया है, जिससे सहयोगात्मबक संघवाद को बढ़ावा मिलेगा.
• सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति नियंत्रण में वर्तमान सफलता को समेकित करने के लिए मौद्रिक नीति प्रारूप समझौते को अंतिम रूप देने पर जोर.
• श्रम और भूमि कानूनों के सुधार तथा कारोबार की लागत में कमी लाने के लिए राज्यों और केंद्र को संयुक्त प्रयास करने की आवश्यकता पर बल.


विदित हो कि आर्थिक समीक्षा केंद्रीय वित्त मंत्रालय का महत्वपूर्ण सालाना दस्तावेज होता है. इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था के गत 12 महीने के प्रमुख घटनाक्रमों की समीक्षा होती है. इसमें प्रमुख सरकारी कार्यक्रमों के प्रदर्शन का संक्षिप्त लेखा-जोखा रहता है तथा साथ ही निकट से मध्यम अवधि में आर्थिक परिदृश्य का आकलन किया जाता है.

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