50वें ज्ञानपीठ पुरस्कार हेतु मराठी के साहित्यकार भालचंद्र नेमाडे के नाम की घोषणा-(10-FEB-2015) C.A

| Tuesday, February 10, 2015

मराठी के प्रसिद्ध साहित्यकार भालचंद्र नेमाड़े को 6 फरवरी 2015 को 50वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की गई. नेमाड़े ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले 55वें साहित्यकार हैं. इससे पहले पांच बार यह पुरस्कार संयुक्त रूप से प्रदान किया गया.
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले नेमाड़े मराठी के चौथे साहित्यकार हैं. इससे पहले वीएस खांडेकर, वीवीएस कुसुमाग्रज और विंदा करंदीकर इस सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं. ज्ञानपीठ पुरस्कारों के स्वर्ण जयंती वर्ष में मराठी भाषा के प्रसिद्ध प्रतिष्ठित साहित्य साधक भालचंद्र नेमाडे को वर्ष 2014 का 50वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जाएगा.
ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति के अध्यक्ष और हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध आलोचक नामवर सिंह की अध्यक्षता में हुई समिति की बैठक में उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया. ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में नेमाड़े को 11 लाख रुपए, प्रशस्ति पत्र, वाग्देवी की प्रतिमा प्रदान की जाएगी.
भालचंद्र नेमाडे से संबंधित मुख्य तथ्य 

•    पदमश्री से सम्मानित नेमाडे को उपन्यासकार, कवि, आलोचक और शिक्षाविद के तौर पर जाना जाता है. वह 60के दशक के लघु पत्रिका आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर थे.
•    मराठी साहित्य में उनकी प्रमुख कृतियों में वर्ष 1968 में प्रकाशित उपन्यास 'कोसला' और वर्ष 2010 में प्रकाशित वृहद उपन्यास 'हिन्दू: जगण्याची समृद्ध अडगल' शामिल हैं.
•    नेमाडे को आलोचनात्मक कृति 'टीका स्वयंवर' के लिए वर्ष 1990 में साहित्य साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था. 

ज्ञानपीठ पुरस्कार से संबंधित मुख्य तथ्य 

ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है.
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यासद्वारा प्रतिवर्ष दिया जाता है.
यह पुरस्कार भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाओं में से किसी भाषा के लेखक को प्रदान किया जाता है.
वर्ष 2011 से पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपए नकद, शॉल व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है. इसके पहले इस सम्मान के तहत 7 लाख रुपए नकद दिए जाते थे. 
वर्ष 2011 में भारतीय ज्ञानपीठ ने पुरस्कार राशि को 7 से बढ़ाकर 11 लाख रुपए किए जाने का निर्णय लिया था.
वर्ष 1965 में 1 लाख रुपए की पुरस्कार राशि से प्रारंभ हुए, इस पुरस्कार को वर्ष 2005 में 7 लाख रुपए कर दिया गया. 
प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था. 
वर्ष 1982 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिए दिया जाता था. लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिए दिया जाने लगा.

विदित हो कि 49वां ज्ञानपीठ पुरस्कार हिन्दी के साहित्यकार केदारनाथ सिंह को 10 नवंबर 2014 को प्रदान किया गया. इस पुरस्कार को हासिल करने वाले वे हिन्दी के 10वें साहित्यकार थे. इससे पूर्व यह पुरस्कार सुमित्रानंदन पंत, रामधारी सिंह दिनकर, सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन अज्ञेय, महादेवी वर्मा, नरेश मेहता, निर्मल वर्मा, कुंवर नारायण, श्रीलाल शुक्ल और अमरकांत को दिया जा चुका है.

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