डॉ राहुल कैचे 17 फरवरी 2015 को कोरोनरी धमनी बाईपास सर्जरी (सीएबीजी-कोरोनरी अर्तियरी बाईपास सर्जरी)
के लिए टाइटेनियम प्लेटों का उपयोग करने वाले महाराष्ट्र के पहले और भारत के दूसरे
कार्डियक सर्जन बन गए. वह नासिक के वॉकहार्ट अस्पताल में एक कार्डियक सर्जन है. यह
सर्जरी शिरडी के चैरीटेबल साईं बाबा अस्पताल में हुई.
इससे पहले बाईपास सर्जरी
के लिए पारंपरिक रूप से प्रयोग किए जाने वाले तारों का उपयोग किया जाता था.
डॉक्टर राहुल ने
टाइटेनियम प्लेट का प्रयोग 64 वर्षीय व्यक्ति
बशीर सैयद नूर के लिए किया, इसमें उन्होंने दो एच आकार के और
एक यू आकर के टाइटेनियम प्लेट का प्रयोग किया है, उन्होंने
इस नवीन तकनीक का प्रयोग इस्टर्नम बोन (उरोस्थि हड्डी-गर्दन से पेट तक जाने वाली
हड्डी) को बंद करने के लिए किया.
इस्टर्नम बोन को बंद करने में टाइटेनियम प्लेट के लाभ
• यह तकनीक पहले से ही संयुक्त राज्य अमेरिका में उपयोग की जा रही है, इस तकनीक में पारंपरिक पद्धति की तुलना में कई फायदे हैं.
• एच आकार टाइटेनियम प्लेट पारम्परिक तारों की तुलना में रोगी के खांसने और उसके वजन से पड़ने वाले प्रभावों को बेहतर ढंग से सहन कर सकता है.
• टाइटेनियम प्लेट पारम्परिक तारों की तुलना में छाती की हड्डी को और अधिक स्थिरता प्रदान करता है.
• इस तकनीक के प्रयोग से इस्टर्नम संक्रमण की घटनाओं में भी कमी आएगी.
• इसके अलावा टाइटेनियम प्लेट चुंबकीय संसाधन इमेजिंग (एमआरआई) के भी अनुकूल हैं जिससे कोई मरीज आसानी से एमआरआई परीक्षण करा सकता है.
इस्टर्नम बोन को बंद करने में टाइटेनियम प्लेट के लाभ
• यह तकनीक पहले से ही संयुक्त राज्य अमेरिका में उपयोग की जा रही है, इस तकनीक में पारंपरिक पद्धति की तुलना में कई फायदे हैं.
• एच आकार टाइटेनियम प्लेट पारम्परिक तारों की तुलना में रोगी के खांसने और उसके वजन से पड़ने वाले प्रभावों को बेहतर ढंग से सहन कर सकता है.
• टाइटेनियम प्लेट पारम्परिक तारों की तुलना में छाती की हड्डी को और अधिक स्थिरता प्रदान करता है.
• इस तकनीक के प्रयोग से इस्टर्नम संक्रमण की घटनाओं में भी कमी आएगी.
• इसके अलावा टाइटेनियम प्लेट चुंबकीय संसाधन इमेजिंग (एमआरआई) के भी अनुकूल हैं जिससे कोई मरीज आसानी से एमआरआई परीक्षण करा सकता है.
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