मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की अध्यक्षता में बिहार राज्य मंत्रिमंडल
ने 14 फ़रवरी 2015 को
दुसाध (धाडी और धरही) जाति को महादलित वर्ग में शामिल करने के लिए राज्य अनुसूचित
जाति / जनजाति कल्याण विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की.
इस अनुमोदन के साथ बिहार
में अब कोई दलित समुदाय नहीं है. अब सभी दलितों को राज्य में महादलित वर्ग में
शामिल कर लिया गया. दुसाध जाति अब महादलितों के लिए बनी कल्याण योजनाओं के पात्र
है.
वर्ष 2011
की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार बिहार की 104 मिलियन
आबादी में लगभग 16 प्रतिशत जनसंख्या दलितों की थी जिसमें
दलितों की उपजाति में से 21 महादलित वर्ग के अंतर्गत थी.
महादलित जातियों में मुसहर, भुईयां, डोम,
चमार, धोबी, नट और अन्य
शामिल हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा वर्ष 2007
में बिहार महादलित विकास मिशन (महादलित आयोग) के गठन के दौरान दुसाध
जाति को महादलित वर्ग में शामिल नहीं किया गया था और उनके लिए विशेष कल्याण
कार्यक्रमों की घोषणा की गई थी. बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी
महादलित है और मुसहर जाति समुदाय से आते हैं.
राज्य मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव के अलावा अन्य आठ प्रस्तावों को भी मंजूरी दी. उनमें से कुछ हैं:
• बिहार के पत्रकारों के लिए पेंशन योजना 2015
• बेली रोड फ्लाईओवर के लिए करोड़ 300 करोड़ रुपए से अधिक की राशि स्वीकृत
राज्य मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव के अलावा अन्य आठ प्रस्तावों को भी मंजूरी दी. उनमें से कुछ हैं:
• बिहार के पत्रकारों के लिए पेंशन योजना 2015
• बेली रोड फ्लाईओवर के लिए करोड़ 300 करोड़ रुपए से अधिक की राशि स्वीकृत
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