रक्षा मंत्री मनोहर
पर्रिकर की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 4444
करोड़ रुपयों के सैन्य उपकरणों की खरीद के प्रस्ताव को 17 दिसंबर 2014 को मंजूरी दी.
इन
प्रस्तावों में शामिल हैं:
• भारतीय नौसेना के सर्वे जहाजों के लिए चार हेलिकॉप्टरों की खरीद, लागत 2324 करोड़ रुपये.
• स्वदेशी संयुक्त इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम (ईडब्ल्यूएस) का उन्नयन जिसपर 1682 करोड़ रुपये खर्च होगा. ईडब्ल्यूएस का आधुनिकीकरण अगले दस वर्षों के लिए रखरखाव अनुबंध के साथ किया जाएगा. संयुक्त में निगरानी, अवरोधन, सभी संचार एवं रडार संकेतों की निगरानी एवं जैमिंग से सुसज्जित वाहन हैं.
• पी–7 हेवी ड्रॉप प्लेटफॉर्म और नौसेना सर्वेक्षण जहाज के खरीद संबंधी प्रस्ताव जिसकी लागत 402 करोड़ रुपये होगी. यह आठ से पंद्रह वर्षों तक 7 टन से कम वजन वाले अंतरिक्ष उपकरणों में क्षति मुक्त उतरने के लिए प्लेटफ़र्म में लगे एयरबैग्स के जीवन को बढाएगा.
• तटरक्षक बल के अपतटीय गश्ती पोत के लिए प्रोपेलर इंजन प्राप्त करने का प्रस्ताव. लागत 36 करोड़ रुपये.
हालांकि, डीएसी भारतीय वायु सेना के एवरो परिवहन बेड़े को बदलने के लिए टाटा संस लिमिटेड एवं एयरबस के संयुक्त बोली पर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका जबकि आईएएफ द्वारा जारी निवदा को डीएसी ने 19 जुलाई 2014 को हुई अपनी बैठक में मंजूरी दे दी थी.
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) और एयरबस डिफेंस एंड स्पेस ने आईएएफ के 56 मध्यम– परिवहन विमान के लिए 20000 करोड़ (3 बिलियन अमेरिकी डॉलर) रुपयों की संयुक्त बोली लगाई थी.
एवरो परिवहन बेड़ा छह से आठ टन श्रेणी का ट्विन टर्बोप्रॉप सामरिक सैन्य विमान है जिसकी क्रूज गति 800 किलोमीटर प्रति घंटा है और रेंज 2500 किलोमीटर – 2800 किलोमीटर.
इससे पहले 22 नवंबर 2014 को डीएसी ने भारतीय रक्षा क्षमताओं की दूरी को पाटने के लिए 15750 करोड़ रुपयों की लागत से सेना के लिए 814 तोप खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. 1980 के दशक में हुए बोफोर्स घोटाले के बाद सेना ने एक भी तोप नहीं खरीदा है.
तोपों की खरीद स्वदेशी रक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए सरकार की वर्ष 2013 में शुरु की गई "बाई एंड मेक (खरीदो और बनाओ)" प्रक्रिया के तहत खरीदा जाएगा. योजना 100 तोपों की खरीदने और बाकी को देश में ही बनाने की है.
इस 4444 करोड़ रुपयों के प्रस्ताव के पारित होने और नवंबर 2014 के 15750करोड़ रुपयों के प्रस्ताव को शामिल करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने मई 2014 में सत्ता में आने के बाद से अब तक 140000 करोड़ रुपयों से अधिक की रक्षा परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है.
• भारतीय नौसेना के सर्वे जहाजों के लिए चार हेलिकॉप्टरों की खरीद, लागत 2324 करोड़ रुपये.
• स्वदेशी संयुक्त इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम (ईडब्ल्यूएस) का उन्नयन जिसपर 1682 करोड़ रुपये खर्च होगा. ईडब्ल्यूएस का आधुनिकीकरण अगले दस वर्षों के लिए रखरखाव अनुबंध के साथ किया जाएगा. संयुक्त में निगरानी, अवरोधन, सभी संचार एवं रडार संकेतों की निगरानी एवं जैमिंग से सुसज्जित वाहन हैं.
• पी–7 हेवी ड्रॉप प्लेटफॉर्म और नौसेना सर्वेक्षण जहाज के खरीद संबंधी प्रस्ताव जिसकी लागत 402 करोड़ रुपये होगी. यह आठ से पंद्रह वर्षों तक 7 टन से कम वजन वाले अंतरिक्ष उपकरणों में क्षति मुक्त उतरने के लिए प्लेटफ़र्म में लगे एयरबैग्स के जीवन को बढाएगा.
• तटरक्षक बल के अपतटीय गश्ती पोत के लिए प्रोपेलर इंजन प्राप्त करने का प्रस्ताव. लागत 36 करोड़ रुपये.
हालांकि, डीएसी भारतीय वायु सेना के एवरो परिवहन बेड़े को बदलने के लिए टाटा संस लिमिटेड एवं एयरबस के संयुक्त बोली पर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका जबकि आईएएफ द्वारा जारी निवदा को डीएसी ने 19 जुलाई 2014 को हुई अपनी बैठक में मंजूरी दे दी थी.
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) और एयरबस डिफेंस एंड स्पेस ने आईएएफ के 56 मध्यम– परिवहन विमान के लिए 20000 करोड़ (3 बिलियन अमेरिकी डॉलर) रुपयों की संयुक्त बोली लगाई थी.
एवरो परिवहन बेड़ा छह से आठ टन श्रेणी का ट्विन टर्बोप्रॉप सामरिक सैन्य विमान है जिसकी क्रूज गति 800 किलोमीटर प्रति घंटा है और रेंज 2500 किलोमीटर – 2800 किलोमीटर.
इससे पहले 22 नवंबर 2014 को डीएसी ने भारतीय रक्षा क्षमताओं की दूरी को पाटने के लिए 15750 करोड़ रुपयों की लागत से सेना के लिए 814 तोप खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. 1980 के दशक में हुए बोफोर्स घोटाले के बाद सेना ने एक भी तोप नहीं खरीदा है.
तोपों की खरीद स्वदेशी रक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए सरकार की वर्ष 2013 में शुरु की गई "बाई एंड मेक (खरीदो और बनाओ)" प्रक्रिया के तहत खरीदा जाएगा. योजना 100 तोपों की खरीदने और बाकी को देश में ही बनाने की है.
इस 4444 करोड़ रुपयों के प्रस्ताव के पारित होने और नवंबर 2014 के 15750करोड़ रुपयों के प्रस्ताव को शामिल करने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने मई 2014 में सत्ता में आने के बाद से अब तक 140000 करोड़ रुपयों से अधिक की रक्षा परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है.
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