भारत के रक्षा अनुसंधान
एवं विकास संगठन (डीआडीओ) ने 19 दिसंबर 2014
को स्वदेश निर्मित 1000 किलोग्राम के ग्लाइड
बम का सफल परीक्षण किया. बम ने ओडीशा तट से बंगाल की खाड़ी में 100 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य पर बिल्कुल सटीक निशाना साधा.
बम को भारतीय वायु सेना
(आईएएफ) के विमान द्वारा समुद्र में गिराया गया. लक्ष्य से टकराने से पहले इसने
करीब 100 किलोमीटर तक बहुत सटीकता के साथ ग्लाइड
किया. बम ऑन बोर नेविगेशन प्रणाली द्वारा निर्देशित किया गया.
ग्लाइड बम की उड़ान पर भुवनेश्वर से 230 किलोमीटर दूर ओडीशा के बालासोर जिले के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) चांदीपुर स्थित रडारों और इलेक्ट्रो ऑप्टिक प्रणालियों ने नजर रखी.
ग्लाइड बम के बारे में
• ग्लाइड बम का डिजाइन और विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा किया गया.
• एवियोनिक्स रिसर्च इस्टैबलिशमेंट (डीएआरई), पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैबलिशमेंट (एआरडीई) और टर्मिनिल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैबोरेटरी (टीबीआरएल) सहित डीआरडीओ की कई प्रयोगशालाओं ने इस ग्लाइड बम को विकसित करने में योगदान किया है.
• बम के परीक्षण के लिए संपूर्ण एवियोनिक्स पैकेज और नेविगेश प्रणाली का डिजाइन और विकास रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) द्वारा किया गया था.
ग्लाइड बम की उड़ान पर भुवनेश्वर से 230 किलोमीटर दूर ओडीशा के बालासोर जिले के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) चांदीपुर स्थित रडारों और इलेक्ट्रो ऑप्टिक प्रणालियों ने नजर रखी.
ग्लाइड बम के बारे में
• ग्लाइड बम का डिजाइन और विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा किया गया.
• एवियोनिक्स रिसर्च इस्टैबलिशमेंट (डीएआरई), पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैबलिशमेंट (एआरडीई) और टर्मिनिल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैबोरेटरी (टीबीआरएल) सहित डीआरडीओ की कई प्रयोगशालाओं ने इस ग्लाइड बम को विकसित करने में योगदान किया है.
• बम के परीक्षण के लिए संपूर्ण एवियोनिक्स पैकेज और नेविगेश प्रणाली का डिजाइन और विकास रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) द्वारा किया गया था.
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