राष्ट्रीय
नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने 19 दिसंबर,
2014 को फसल वर्ष 2012-13 के लिए कृषि
परिवारों की स्थिति का आकलन सर्वेक्षण जारी किया. सर्वेक्षण जनवरी 2013 और दिसंबर 2013 के बीच आयोजित किया गया था.
सर्वेक्षण
में कृषि के बारे में एक आम धारणा पर ध्यान केंद्रित किया है-कि कैसे ग्रामीण
क्षेत्रों के मकानों की कुल जनसंख्या (2011 की
जनगणना) का 68.8प्रतिशत होने
के बावजूद सिर्फ भारत के सकल घरेलू उत्पाद (2012-13 डेटा) का
15 प्रतिशत भाग उत्पन्न करता है.
भारत सरकार के नीतियों और कार्यक्रमों के संदर्भ में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि परिवारों की हालत को ठीक से समझने के उद्देश्य से इस सर्वेक्षणको किया गया.
प्रथम चरण में 35,200 परिवारों का सर्वेक्षण किया गया और दूसरे चरण में 34,907 परिवारों का सर्वेक्षण किया गया.
सर्वेक्षण की मुख्य विशेषताएं
. सर्वेक्षण में पाया गया है कि भारत में ग्रामीण परिवारों में केवल 58 फीसदी ही कृषि कार्य में लगे हुए हैं जो उनकी औसत कुल मासिक आय का 60 फीसदी का योगदान भी नहीं कर पाते है.
. देश की अनुमानित 15.61 करोड़ ग्रामीण घरों में से केवल 9.02 करोड़ (57.8 प्रतिशत) घर ही कृषि कार्य में सलंग्न है.
. कृषि कार्य में लगा हुआ घर /परिवार उनको माना गया है जिनके कम से कम एक सदस्य पिछले 365 दिनों के दौरान खेती को या तो मुख्य या सहायक रोजगार के रूप में अपनाये हए है.
. इसके अलावा, यहां तक कि 9.02 करोड़ कृषि घरों में से केवल 68.3 प्रतिशत की आय का प्रमुख स्रोत खेती (यानी खेती, पशु पालन और अन्य कृषि गतिविधि) से मिलता है.
. ग्रामीण परिवारों का मात्र 39.5 प्रतिशत भाग ही आय के अधिकतम स्रोत के लिए कृषि उपज पर निर्भर हैं
. उत्तर प्रदेश में देश के सभी कृषि परिवारों में से 20 प्रतिशत परिवार मिलते हैं.
. राजस्थान में ग्रामीण परिवारों में से कृषि परिवारों का प्रतिशत सबसे ज्यादा (78.4 प्रतिशत) है.
. केरल में ग्रामीण परिवारों में से कृषि परिवारों का प्रतिशत सबसे काम (27.3 प्रतिशत)है.
. भारतीय किसान परिवार की खेती और पशुपालन से शुद्ध प्राप्तियों में से सिर्फ 59.8 प्रतिशत औसत मासिक आय ही पायी जाती है.
. शेष मजदूरी/ वेतनभोगी रोजगार, गैर कृषि व्यापार और ऐसे प्रेषण, ब्याज और लाभांश के रूप में अन्य स्रोतों से प्राप्त होती है.
. कृषि गतिविधियां जिसमें खेती और पशु पालन शामिल हैं सभी प्रमुख राज्यों में कृषि परिवारों के अधिकांश आय का प्रमुख स्रोतहै.
. केरल अकेला ऐसा राज्य है जहाँ 61 प्रतिशत कृषि परिवार कृषि गतिविधियों के अलावा अन्य स्रोतों से अधिक से अधिक आय प्राप्त करते हैं.
. सीमांत किसानों में लगभग 13 फीसदी के पास राशन कार्ड नहीं है.
. कृषि से हटकर 23 फीसदी कृषि परिवार आय का मुख्य स्रोत के रूप में पशुओं पर निर्भर हैं.
. वे परिवार जिनके पास 0.01 हेक्टेयर कृषि भूमि है वे कृषि को अपनी आय का प्रमुख स्रोत नहीं मानते है.
. वे परिवार जिनके पास 0.4 हेक्टेयर कृषि भूमि है उनकी आय का प्रमुख स्रोत कृषि है.
. कुल 44 फीसदी कृषि-परिवारों के पास मनरेगा जॉब कार्ड है.
2003 के सर्वेक्षण और 2012-13 के सर्वेक्षण के बीच अंतर
पिछले सर्वेक्षण कृषि घरों पर 2003 में 59 वें दौर में आयोजित किया गया था 2003 के सर्वेक्षण और 2012-13 के सर्वेक्षण के बीच फर्क सिर्फ इतना है कि इनके परिभाषा में बदलाव किया गया है.
2003 के सर्वेक्षण में, कृषि परिवार के रूप में उनको परिभाषित किया गया है जिनके पास कुछ जमीन है और जो एक वर्ष से अधिक समय से कृषि गतिविधियों में लगे हुए है. 2012-13 के सर्वेक्षण में कृषि परिवार के रूप में उनको परिभाषित किया गया है जिनके मूल्य कृषि उपज का मूल्य 3000 रुपए से अधिक है और जिनके परिवार का कम से कम एक सदस्य कृषि गतिविधियों में लगा हुआ है.
भारत सरकार के नीतियों और कार्यक्रमों के संदर्भ में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि परिवारों की हालत को ठीक से समझने के उद्देश्य से इस सर्वेक्षणको किया गया.
प्रथम चरण में 35,200 परिवारों का सर्वेक्षण किया गया और दूसरे चरण में 34,907 परिवारों का सर्वेक्षण किया गया.
सर्वेक्षण की मुख्य विशेषताएं
. सर्वेक्षण में पाया गया है कि भारत में ग्रामीण परिवारों में केवल 58 फीसदी ही कृषि कार्य में लगे हुए हैं जो उनकी औसत कुल मासिक आय का 60 फीसदी का योगदान भी नहीं कर पाते है.
. देश की अनुमानित 15.61 करोड़ ग्रामीण घरों में से केवल 9.02 करोड़ (57.8 प्रतिशत) घर ही कृषि कार्य में सलंग्न है.
. कृषि कार्य में लगा हुआ घर /परिवार उनको माना गया है जिनके कम से कम एक सदस्य पिछले 365 दिनों के दौरान खेती को या तो मुख्य या सहायक रोजगार के रूप में अपनाये हए है.
. इसके अलावा, यहां तक कि 9.02 करोड़ कृषि घरों में से केवल 68.3 प्रतिशत की आय का प्रमुख स्रोत खेती (यानी खेती, पशु पालन और अन्य कृषि गतिविधि) से मिलता है.
. ग्रामीण परिवारों का मात्र 39.5 प्रतिशत भाग ही आय के अधिकतम स्रोत के लिए कृषि उपज पर निर्भर हैं
. उत्तर प्रदेश में देश के सभी कृषि परिवारों में से 20 प्रतिशत परिवार मिलते हैं.
. राजस्थान में ग्रामीण परिवारों में से कृषि परिवारों का प्रतिशत सबसे ज्यादा (78.4 प्रतिशत) है.
. केरल में ग्रामीण परिवारों में से कृषि परिवारों का प्रतिशत सबसे काम (27.3 प्रतिशत)है.
. भारतीय किसान परिवार की खेती और पशुपालन से शुद्ध प्राप्तियों में से सिर्फ 59.8 प्रतिशत औसत मासिक आय ही पायी जाती है.
. शेष मजदूरी/ वेतनभोगी रोजगार, गैर कृषि व्यापार और ऐसे प्रेषण, ब्याज और लाभांश के रूप में अन्य स्रोतों से प्राप्त होती है.
. कृषि गतिविधियां जिसमें खेती और पशु पालन शामिल हैं सभी प्रमुख राज्यों में कृषि परिवारों के अधिकांश आय का प्रमुख स्रोतहै.
. केरल अकेला ऐसा राज्य है जहाँ 61 प्रतिशत कृषि परिवार कृषि गतिविधियों के अलावा अन्य स्रोतों से अधिक से अधिक आय प्राप्त करते हैं.
. सीमांत किसानों में लगभग 13 फीसदी के पास राशन कार्ड नहीं है.
. कृषि से हटकर 23 फीसदी कृषि परिवार आय का मुख्य स्रोत के रूप में पशुओं पर निर्भर हैं.
. वे परिवार जिनके पास 0.01 हेक्टेयर कृषि भूमि है वे कृषि को अपनी आय का प्रमुख स्रोत नहीं मानते है.
. वे परिवार जिनके पास 0.4 हेक्टेयर कृषि भूमि है उनकी आय का प्रमुख स्रोत कृषि है.
. कुल 44 फीसदी कृषि-परिवारों के पास मनरेगा जॉब कार्ड है.
2003 के सर्वेक्षण और 2012-13 के सर्वेक्षण के बीच अंतर
पिछले सर्वेक्षण कृषि घरों पर 2003 में 59 वें दौर में आयोजित किया गया था 2003 के सर्वेक्षण और 2012-13 के सर्वेक्षण के बीच फर्क सिर्फ इतना है कि इनके परिभाषा में बदलाव किया गया है.
2003 के सर्वेक्षण में, कृषि परिवार के रूप में उनको परिभाषित किया गया है जिनके पास कुछ जमीन है और जो एक वर्ष से अधिक समय से कृषि गतिविधियों में लगे हुए है. 2012-13 के सर्वेक्षण में कृषि परिवार के रूप में उनको परिभाषित किया गया है जिनके मूल्य कृषि उपज का मूल्य 3000 रुपए से अधिक है और जिनके परिवार का कम से कम एक सदस्य कृषि गतिविधियों में लगा हुआ है.
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