नेशनल
एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) और ग्रह वैज्ञानिकों की एक
अंतरराष्ट्रीय टीम को पृथ्वी पर उल्कापिंड का साक्ष्य मिला है जिससे पता
चलता है कि मंगल ग्रह की सतह के करीब पानी या बर्फ का जलाशय हैं. इस खोज को अर्थ
एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स नाम के जरनल में 18 दिसंबर 2014
को प्रकाशित किया गया था
इस खोज से इस
सवाल का जवाब ढूंढने में मदद मिलेगी कि मंगल ग्रह से पानी कहां चला गया. हालांकि, मंगल पर पानी की उत्पत्ति, पानी की पर्याप्तता और
इतिहास के बारे में अभी भी विवाद है.
इस खोज से इस
तथ्य को समर्थन मिलता है कि पानी का बड़ा
हिस्सा क्रायोस्फेयर में छिपा है.
अनुसंधान के निष्कर्ष
·
खोज तीसरे जलाशय के अस्तित्व का
सबूत देता है जो समस्थानिक संरचना में मंगल के आवरण और उसके वर्तमान वायुमंडल के
बीच स्थित है.
·
जलाशय गैर– वायुमंडलीय हाइड्रोजन समस्थानिक संरचना की है. यह हाइड्रोजन जलाशय
हाइड्रेटेड परत या बर्फ की जमीन को दर्शाता है.
·
इस हाइड्रोजन समस्थानिक पानी के
जलाशय को पर्याप्त आकार का होना चाहिए ताकि वायुमंडल के साथ यह समस्थानित संतुलन
तक नहीं पहुंचे.
·
यह जलाशय मंगल ग्रह के प्रारंभिक
पानी का बड़ा हिस्सा हो सकता है.
अध्ययन प्रक्रिया
टोक्यो
इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, द लूनर एंड
प्लेनेटरी इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूस्टन, द कार्नेगी इंस्टीट्यूट
फॉर साइंस, वाशिंगटन के अनुसंधानकर्ताओं और नासा के
खगोलसामग्री अनुसंधान एवं अन्वेषण विज्ञान प्रभाग ने मंगल ग्रह के तीन उल्कापिंडों
का अध्ययन किया.
वैज्ञानिकों ने
पानी की तुलना अन्य वाष्पीय तत्व सांद्रता और उल्कापिंड के भीतर कांच के हाइड्रोजन
समस्थानिक रचनाओं के साथ की जो शायद मंगल ग्रह की सतह पर प्राचीन ज्वालामुखी
गतिविधि की वजह से चट्टानों में हुए विस्फोट के कारण पैदा हुए थे.
उन्होंने नए
पहचान किए गए हाइड्रोजन जलाशय की दो संभावनाओं की जांच की. सतह के करीब गाद के साथ
बर्फ की परत या वह मंगल ग्रह की परत के निकट हाइड्रेटेड चट्टान को दर्शाता है.
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