वैश्विक जलवायु समझौते पर लीमा में सहमति बनी-(31-DEC-2014) C.A

| Wednesday, December 31, 2014
भारत सहित 194 देशों ने द्वारा वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में कटौती के राष्ट्रीय संकल्पों के लिए आम सहमति वाले प्रारूप को पेरू की राजधानी लीमा में 14 दिसंबर 2014 को स्वीकार किया गया.
इस सहमति से अब जलवायु पर्वितन से निबटने के मुद्दे पर वर्ष 2015 में पेरिस में नए महत्वाकांक्षी एवं बाध्यकारी करार पर हस्ताक्षर के लिए मार्ग प्रशस्त हो गया.

इसकी घोषणा पेरू के पर्यावरण मंत्री एवं लीमा वार्ता के अध्यक्ष मैनुएल पुलगर-विदाल ने लीमा में 1-14 दिसंबर 2014 तक चली संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन की वार्ता के बाद की.

लीमा वार्ता को लेकर यह संतोष हो सकता है कि 194 देशों ने एक दस्तावेज को स्वीकृत किया. भारत के पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर जिन्होंने सम्मलेन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था ने कहा कि हमारी मांगों को इस दस्तावेज में मान्यता भी मिली है. उन्होंने यह टिप्पणी दिसंबर 2015 के करार के लिए वार्ता का व्यापक खाका मंजूर होने के बाद की.

चीन, भारत, ब्राजील और उभरती हुई अन्य अर्थव्यवस्थाएं अपने उत्सर्जन में कटौती करने पर सहमत हुए हैं. अब जो सहमति बनी है, उसके अनुसार, देश अपने उत्सर्जन कटौती लक्ष्य पेश करेंगे जिसकी समय सीमा 31 मार्च 2015 होगी.

पहली बार जलवायु पर हो रहे  किसी सम्मलेन में भाग ले रहे देशों ने जलवायु परिवर्तन के संकट से  लड़ने के लिए इतनी गंभीरता का प्रदर्शन किया जिससे वार्ता का एक सार्थक  परिणाम सामने आया.  

जलवायु  कार्रवाई पर लीमा आह्वान के मुख्य बिंदु 
जलवायु कार्रवाई पर लीमा आह्वान मसौदा की मंजूरी को पेरिस में वैश्विक जलवायु परिवर्तन करार तक पहुंचने की दिशा में एक उल्लेखनीय और पहले कदम के रूप में देखा जा रहा है. इस करार को जलवायु कार्रवाई पर लीमा आह्वान का नाम दिया गया है. यह पर्यावरण के इतिहास में एक ऐतिहासिक समझौता है.

इच्छित राष्ट्रीय संकल्पित योगदान (आईएनडीसी): संशोधित मसौदा में इच्छित राष्ट्रीय संकल्पित योगदान (आईएनडीसी) की किसी अनुमानित समीक्षा प्रक्रिया के बारे में कोई जानकारी नहीं है. इसे देशों पर ही छोड़ दिया गया है. इसमें रेखांकित किया गया है कि आईएनडीसी में शमन (मिटिगेशन), अनुकूलन, वित्तपोषण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण, सभी तत्वों का समावेश हो.

आईएनडीसी दाखिल करने की नई तारीख जून 2015 से बढ़ा कर अक्तूबर 2015 कर दी गई है क्योंकि अनेक देशों ने ज्यादा समय की मांग की थी. यह समझौता ही वर्ष 2020 में होने वाले  समझौते  का आधार बनेगा.

हरित जलवायु निधि की स्थापना का संकल्प: इस सम्मलेन सदस्य देशों ने विशेषकर नॉर्वे ,ऑस्ट्रेलिया पेरू कोलम्बिया  एवं ऑस्ट्रिया ने 10.2 अमरीकी डॉलर राशि की  हरित जलवायु निधि की स्थापना का संकल्प व्यक्त किया है.

नाज़का पोर्टल की शुरुआत: जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का बड़े पैमाने पर उपयोग करने का इरादा इस सम्मलेन में दिखा है.  लीमा जलवायु कार्य एजेंडा  के अंतर्गत नाज़का पोर्टल की शुरुआत की गयी है.

लीमा -पेरिस कार्य एजेंडा: लीमा -पेरिस कार्य एजेंडा  के अंतर्गत उन गतिविधियों को कंद्र में रखा गया जिनको अपनाकर 2020 तक जलवायु पर ऐतिहासिक समझौते के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके .
बहुपक्षीय जायज़ा : क्योटो प्रोटोकॉल  दोहा संशोधन तुवालु  देश ने जलवायु पर दोहा संशोधन समझौता पर अपनी रज़ामंदी दे दी है जिससे अब इस संशोधन पर सहमत होने वाले पक्षों की संख्या 121 हो गयी है किन्तु इस समझौते को प्रभावी बनाने हेतु काम से कम 144 सदस्य देशों की ज़रुरत पड़ेगी.  

राष्ट्रीय अनुकूलन योजना (NAPs): लीमा में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन की तकरीबन दो हफ्ते चली वार्ता के बाद वार्ता के अध्यक्ष एवं पेरू के पर्यावरण मंत्री मैनुएल पुलगर-विदाल ने राष्ट्रीय अनुकूलन योजना का शुभारंभ किया. इस योजना में पेरू, यूएसए, फिलीपींस, टोगो, ब्रिटेन, जमाइका एवं जापान को शामिल  किया गया है.

संशोधित मसौदा: मसौदा में सिर्फ यही कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन पर उनके संयुक्त प्रभाव के आकलन के लिए दिसंबर 2015  में पेरिस शिखर सम्मेलन से एक माह पहले तमाम संकल्पों की समीक्षा की जाएगी.

निष्कर्ष 
लीमा समझौता दिसंबर 2015 में पेरिस में होने वाले 21वें कांफ्रेंस ऑफ़ द पार्टीज ( COP) सम्मेलन की  पृष्ठभूमि तैयार करेगा जहाँ विश्व के देश जलवायु पर अंतर्राष्ट्रीय समझौते को अंतिम रूप देंगे, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय गयी समय सीमा 2020 तक प्रभावी हो जायेगा.

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