रिचर्ड राहुल वर्मा ने 'भारत में अमेरिकी राजदूत' के रूप में शपथ ग्रहण किया-(21-DEC-2014) C.A

| Sunday, December 21, 2014

भारतीय मूल के रिचर्ड राहुल वर्मा ने 'भारत में अमेरिकी राजदूत' के रूप में 20 दिसंबर 2014 को वाशिंगटन में शपथ ली. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय में 46 वर्षीय राहुल वर्मा को उनके पद की शपथ दिलाई. वर्मा, नैंसी पॉवेल की जगह लेंगे, जिन्होंने वीजा फर्जीवाड़ा आरोपों पर भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के साथ सलूक को लेकर विवाद के बाद मार्च 2014 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
भारत में नवनियुक्त अमेरिकी राजदूत रिचर्ड राहुल वर्मा भारत में अमेरिकी दूत के तौर पर शपथ लेकर इस पद पर पहुंचने वाले पहले भारतीय मूल के अमेरिकी बन गए. वर्मा भारत और अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों के हिमायती रहे हैं और उन्होंने भारत के साथ अमेरिका के असैन्य परमाणु करार पर अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी में अहम भूमिका निभाई थी.
अमेरिकी सीनेट ने दिसंबर 2014 के प्रथम सप्ताह में ही ध्वनिमत से राहुल वर्मा के नाम की पुष्टि कर दी थी. अमेरिकी प्रशासन में रहने के दौरान उन्होंने भारत-अमेरिकी संबंधों की जोरदार पैरवी की थी और हाल में शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक 'सेंटर फोर अमेरिकन प्रोग्रेस' में 'इंडिया 2020' परियोजना की शुरुआत की.
विदित हो कि नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के नेतृत्व की जिम्मेदारी कैथलीन स्टीफंस पर है. वर्मा का अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ वर्ष 2008 से ही मजबूत रिश्ता रहा है, जब ओबामा सीनेटर थे और उन्होंने राष्ट्रपति पद संबंधी तैयारियों पर काम किया था. वर्मा, वर्ष 2009 से वर्ष 2011 तक हिलेरी क्लिंटन के अंतर्गत विधायी मामलों के लिए विदेश उप मंत्री रहे थे. वर्मा को एक प्रतिभाशाली नेता और प्रबंधक के तौर पर संघीय सरकार में, निजी क्षेत्र में और गैर सरकारी संगठनों के साथ उच्च स्तरीय नीति पर कई सालों के अनुभवी काम के लिए जाना जाता है. खासकर, राजनीतिक-सैन्य संबंधों के साथ ही दक्षिण एशिया और भारत से जुड़े मामले पर उनकी पकड़ है.  वर्मा के माता-पिता वर्ष 1960 के दशक में भारत से अमेरिका चले गए थे.

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