जापान के स्टेम सेल
वैज्ञानिक हरुको नोबाकाटा ने स्टेम सेल घोटाले को लेकर 19 दिसम्बर 2014 को इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफे को
लेकर यह कारण बताया जा रहा है कि वह अपनी स्टेम सेल को सस्ता और तेजी से बनाने से
संबंधित तकनीक को पुन: दोहराने में सक्षम नही थीं.
उनका शोध जनवरी 2014 में नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुआ था.
अपने अनुसंधान में
उन्होंने केवल 30 मिनट की अवधि के लिए एसिड में उन्हें
भ्रूण की तरह लचीलेपन के साथ नवजात चूहों की कोशिकाओं को पुन: बनाने का दावा किया
था.
इस विधि से जेनेटिक इंजीनियरिंग में उपयोग की जाने वाली मौजूदा तकनीकों में वृहद स्तर पर सुधार की संभावना थी.
इसके बाद, फरवरी 2014 में, आरआईकेईएन अनुसंधान संस्थान द्वारा की गई एक जाँच में ओबाकाटा द्वारा दिखाए गए परिणामों में से कुछ को मनगढ़ंत पाया गया.
विदित हो कि इससे पहले, कोरिया के वैज्ञानिक ह्वांग वू सुक ने मानव वयस्कों से भ्रूण के क्लोन और उनमें स्टेम सेल लाइनों को अलग करके उनके निर्माण का दावा किया था, उन्हें इस संबंध में दोषी पाया गया था.
इस विधि से जेनेटिक इंजीनियरिंग में उपयोग की जाने वाली मौजूदा तकनीकों में वृहद स्तर पर सुधार की संभावना थी.
इसके बाद, फरवरी 2014 में, आरआईकेईएन अनुसंधान संस्थान द्वारा की गई एक जाँच में ओबाकाटा द्वारा दिखाए गए परिणामों में से कुछ को मनगढ़ंत पाया गया.
विदित हो कि इससे पहले, कोरिया के वैज्ञानिक ह्वांग वू सुक ने मानव वयस्कों से भ्रूण के क्लोन और उनमें स्टेम सेल लाइनों को अलग करके उनके निर्माण का दावा किया था, उन्हें इस संबंध में दोषी पाया गया था.
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