दिल्ली उच्च न्यायालय ने जियाओमी पर भारत में फोन बेचने पर प्रतिबंध लगाया-(14-DEC-2014) C.A

| Sunday, December 14, 2014

दिल्ली उच्च न्यायालय ने चीनी मोबाइल फोन निर्माता कंपनी जियाओमी टेक्नोलॉजी लिमिटेड को अपने डिवाइस की बिक्री 5 फरवरी 2015 तक भारत में करने पर 10 दिसंबर 2014 को प्रतिबंध लगा दिया. स्वीडेन की टेलीकॉम कंपनी एरिक्शन ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका द्वारा चीनी कंपनी जियाओमी के खिलाफ मुकदमा दायर किया है जियाओमी पर एरिक्शन के पेटेंट का उल्लंघन का आरोप लगाया गया है. एरिक्शन ने आरोप लगाया है कि चीनी कंपनी जियाओमी धोखाधड़ी से उसके उत्पाद भारत में बेच रही है. यह पेटेंट कानून का उल्लंघन है.
कोर्ट ने इस पर जियाओमी को जवाब देने के लिए कहा है. न्यायालय ने जियाओमी और फ्लिपकार्ट से ऐसे सभी डिवाइसों की सूची मांगी है जिसमें 3जी, एज और एमआर से संबंधित शिकायतें मिल रही हैं. अपने फैसले में कोर्ट ने एरिक्शन के पेटेंट के उल्लंघन के लिए दायर मुकदमे के बाद जियाओमी के खिलाफ एक पक्षीय निषेधाज्ञा का आदेश लागू कर दिया. कोर्ट के आदेशानुसार जब तक कानूनी समस्याओं का निराकरण नहीं हो जाता तब तक वह भारत में किसी भी नए फोन को न ला सकती है और न ही बेच सकती है और न ही उसका प्रचार कर सकती है.
जियाओमी देश में अपने स्मार्टफोन ऑनलाइन शापिंग रिटेलर फ्लिपकार्ट के माध्यम से बेचती है. यह दुनिया तीसरी सबसे बड़ी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी बन चुकी है. भारत में आने के बाद जियाओमी पर शुरू से ही आरोप लगते आए हैं. इससे पहले भारतीय वायु सेना ने जियाओमी पर यूजरों के पर्शनल डेटा को चीनी खूफिया एंजेंसी को ट्रांसफर करने का आरोप लगाया था. जिसके कारण वायु सेना के अधिकारियों को जियाओमी का फोन खरीदने से मना कर दिया गया था.
एरिक्शन ने फ्रांड (FRAND) श्रेणी के तहत पेटेंट के मुद्दे पर जियाओमी पर मुकदमा दायर किया है. फ्रांड (FRAND)  स्वच्छ  एवं भेदभाव रहित सौदेबाज़ी के लिए उपयोग किया जाने वाला शब्द है और एरिक्शनइसके अंतर्गत उचित शुल्क पर लाइसेंस प्रदान करती है, इसी आधार पर एरिक्शन ने पेटेंट के भुगतान करने के लिए जुलाई 2014 में जियाओमी को पत्र लिखा था लेकिन जियाओमी ने कथित तौर पर उस पत्र का कोई जवाब नहीं दिया.

फ्रांड (FRAND) पेटेंट के बारे में
फ्रांड (FRAND) एक कानूनी शब्द है जिसका भावार्थ उचित और भेदभाव रहित व्यवस्था के सन्दर्भ में निकाला जाता है और आम तौर पर पेटेंट लाइसेंस शर्तों का वर्णन करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है. समान्यतः कंपनियां  फ्रांड (FRAND) शर्तों के अंतर्गत लाइसेंसिंग व्यवस्था को स्वीकार करती है तभी वह किसी प्रतिष्ठित संस्था का भाग बन सकती हैं.

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