स्वीडन आधिकारिक तौर पर 30 अक्टूबर,
2014 को फिलिस्तीन को राज्य के रूप में मान्यता प्रदान करने वाला
प्रथम यूरोपीय संघीय (ईयू) देश बन गया.
स्वीडन के इस निर्णय के खिलाफ इजरायल ने विरोध प्रदर्षित किया और
उसने स्वीडिश राजदूत को तलब कर अपना गुस्सा एवं विरोध दर्ज कराया है। इजरायल का मत
है कि फलस्तीन को मान्यता वार्ता की सफलता के बाद ही दी जानी चाहिए.
कुल 130 अन्य देश हालांकि पहले से ही फिलिस्तीन
को राज्य के रूप में मान्यता प्रदान कर चुके हैं जिसमें हंगरी, स्लोवाकिया और पोलैंड तीन ऐसे देश हैं जिन्होंने यूरोपीय संघ में शामिल
होने से पहले यह कदम उठाया है. गैर-यूरोपीय संघ सदस्य आइसलैंड फिलीस्तीनी राज्य को
मान्यता प्रदान करने वाला एकमात्र पश्चिमी यूरोपीय देश है.
पृष्ठभूमि
फिलिस्तीनी लोग इजरायल के कब्जे वाले पश्चिमी तट और गाजा के साथ
पूर्वी जेरूसलम अपनी राजधानी के रूप में को सम्मिलित कर एक राज्य बनाने की मांग कर
रहे हैं. इसके अतिरिक्त उनकी मांग है कि इजरायल फिलिस्तीनी कब्जे वाले क्षेत्रों
को भी लौटा दे.
इजरायल के साथ सीधी शांति वार्ता की विफलता के साथ, फिलिस्तीनी अधिकारियों का प्रयास है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष
चर्चा द्वारा फिलीस्तीनी संप्रभुता को मान्यता प्रदान करवाने का उद्यम किया जाए.
वर्ष 2012 में, संयुक्त
राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीनी की स्थिति को उन्नत करने के लिए एक गैर सदस्य
पर्यवेक्षक के लिए मतदान किया जिससे फिलिस्तीनी अधिकारिक पहुंच संयुक्त राष्ट्र
एजेंसियों तक हो सके. हालांकि, यूरोपीय संघ के देशों ने
फिलिस्तीनी राज्य को अपनी पूरी मान्यता नहीं दी थी.
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