संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) समिति ने उत्तर कोरिया में
मानवाधिकारों के हनन की निंदा करते हुए 18 नवंबर 2014
को प्रस्ताव पारित कर उत्तर कोरिया को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय
(आईसीसी) को भेज दिया. इस प्रस्ताव के पक्ष में 111 वोट,
विपक्ष में 19 वोट पड़े. 55 सदस्यों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया. औपचारिक अनुमोदन के लिए यह प्रस्ताव
दिसंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भेजा जाएगा.
यह प्रस्ताव उत्तर कोरिया के नेतृत्व की नीतियों के कथित हनन से भी
जुड़ा हुआ है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से उसने मानवाधिकार हनन के दोषियों
के खिलाफ लक्षित प्रतिबंध लगाने पर विचार करने को भी कहा गया. क्यूबा ने प्रस्ताव
के खिलाफ वोट किया और उत्तर कोरिया को आईसीसी में भेजने वाले मुख्य प्रावधान को
खत्म करने के लिए संशोधन का प्रस्ताव पेश किया. इसके साथ ही उसने मानवता के खिलाफ
अपराधों के लिए उचित दृष्टिकोण से इस मुद्दे को देखने की भी अपील की.
फरवरी 2014 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की जांच रिपोर्ट में उत्तर कोरिया में बड़े पैमाने पर अत्याचारों का जिक्र किया गया. इसमें नाजी युग के जेल शिविर, व्यवस्थित यातना, भुखमरी और हत्या जैसी वारदातें भी शामिल थीं.
फरवरी 2014 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की जांच रिपोर्ट में उत्तर कोरिया में बड़े पैमाने पर अत्याचारों का जिक्र किया गया. इसमें नाजी युग के जेल शिविर, व्यवस्थित यातना, भुखमरी और हत्या जैसी वारदातें भी शामिल थीं.
विश्लेषण
इस प्रस्ताव पर वोट से उत्तर कोरिया पर राजनीतिक दबाव बढ़ जाएगा लेकिन मोटे तौर पर यह प्रतीकात्मक है. चीन ऐसे किसी भी आईसीसी रेफरल (निर्दिष्ट) को रोकने के लिए अपनी सुरक्षा परिषद की वीटो शक्ति का प्रयोग कर सकता है और उसके इस कदम को रूस से समर्थन भी मिल सकता है.
इस प्रस्ताव पर वोट से उत्तर कोरिया पर राजनीतिक दबाव बढ़ जाएगा लेकिन मोटे तौर पर यह प्रतीकात्मक है. चीन ऐसे किसी भी आईसीसी रेफरल (निर्दिष्ट) को रोकने के लिए अपनी सुरक्षा परिषद की वीटो शक्ति का प्रयोग कर सकता है और उसके इस कदम को रूस से समर्थन भी मिल सकता है.
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