सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा को 2जी मामले से अलग होने का सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश-(23-NOV-2014) C.A

| Sunday, November 23, 2014
सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा को 2जी मामले से अलग होने का निर्देश 20 नवंबर 2014 को जारी किया. उनसे निर्देश दिया कि वे इस मामले में हस्तक्षेप न करें. 

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में सीबीआई निदेशक की भूमिका अब 2जी घोटाले की जांच टीम के तीन सबसे वरिष्ठ अधिकारी निभाएंगें.
प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रथम द्रष्टया ऐसा लगता है कि सिन्हा के खिलाफ लगाए गए आरोप विश्वसनीय और स्वीकार्य हैं. 

सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्देश सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन नाम की स्वयंसेवी संस्था द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों के मद्देनजर जारी किया. स्वयंसेवी संगठन ने उन पर 2 जी  स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोपियों को बचाने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.
रंजीत सिन्हा 2 दिसंबर 2014 को सेवानिवृत्त किए जाने वाले थे लेकिन अदालत के निर्देशों के कारण बतौर सीबीआई प्रमुख की विश्वसनीयता पर निशान छोड़ कर जा रहे हैं. 

2जी स्पेक्ट्रम मामला
2जी स्पेक्ट्रम मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ( सीबीआई) द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच से जुड़ा है. इस घोटाले में मोबाइल टेलीफोन कंपनियों को फ्रीक्वेंसी आवंटन लाइसेंसों जिसके बाद वे सेल फोन पर 2जी स्पेक्ट्रम सदस्यता बनाने का इस्तेमाल करेंगे, को जारी करने के एवज में राजनीतिज्ञों और सरकारी अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था. 

नियंत्रक एवं महालेखा परक्षीक (कैग) के अनुमानों के मुताबिक इस घोटाला से सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इस धनराशि का अनुमान 2010 में हुए 3 जी और बीडब्ल्यूए स्पेक्ट्रम नीलामी की कीमतों के आधार पर लगाया गया था.



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