आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने वित्त वर्ष 2015–16
के लिए भारत के लिए 6.6 फीसदी का विकास दर का
अनुमान लगाया. यह जानकारी 19 नवंबर 2014 को दी गई.
ओईसीडी के अनुसार 6.6 फीसदी की विकास दर को हासिल करने के लिए भारत को विनिर्माण गतिविधियों को पुनर्जिवित करने की जरूरत है.
मई 2014 के शुरुआत में, ओईसीडी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के 5.7 फीसदी के विकास का अनुमान लगाया था.
ओईसीडी के अनुसार 6.6 फीसदी की विकास दर को हासिल करने के लिए भारत को विनिर्माण गतिविधियों को पुनर्जिवित करने की जरूरत है.
मई 2014 के शुरुआत में, ओईसीडी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के 5.7 फीसदी के विकास का अनुमान लगाया था.
भारत के लिए अपनी प्रमुख सिफारिशों में ओईसीडी ने कहा है कि–
• लचीला मुद्रा स्फीति लक्ष्यीकरण, राजकोषीय समेकन, राष्ट्रीय मूल्य– वर्धित कर और बैंकिंग निरीक्षण को मजबूत कर व्यापक आर्थिक ढांचे में सुधार करना होगा.
• श्रम कानूनों को सरल बनाकर, शिक्षा की सुलभता, संरचनात्मक परियोजनाओं के अनुमोदन में तेजी और व्यापार वातावरण में सुधार लाकर नौकरियों का सृजन करना होगा.
• महिलाओँ के लिए समान कार्य अवसरों और महिला उद्यमियों के लिए शिक्षा एवं कौशल प्रशिक्षण के उपयोग का विस्तार कर महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को बढ़ाना होगा.
• स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच और समानता में सुधार.
• 8 फीसदी की विकास दर हासिल करने के लिए भारत को सब्सिडी कम करने, सामाजिक और भौतिक संरचनाओँ पर अधिक खर्च करने, वस्तु एवं सेवा कर लगाने और बुनियादी ढांचा के क्षेत्र में कर मुक्त धन की जरूरत है. भारत को केंद्र और राज्य स्तर पर राजकोषीय समेकन की गुणवत्ता में भी सुधार करने की जरूरत है.
• लचीला मुद्रा स्फीति लक्ष्यीकरण, राजकोषीय समेकन, राष्ट्रीय मूल्य– वर्धित कर और बैंकिंग निरीक्षण को मजबूत कर व्यापक आर्थिक ढांचे में सुधार करना होगा.
• श्रम कानूनों को सरल बनाकर, शिक्षा की सुलभता, संरचनात्मक परियोजनाओं के अनुमोदन में तेजी और व्यापार वातावरण में सुधार लाकर नौकरियों का सृजन करना होगा.
• महिलाओँ के लिए समान कार्य अवसरों और महिला उद्यमियों के लिए शिक्षा एवं कौशल प्रशिक्षण के उपयोग का विस्तार कर महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को बढ़ाना होगा.
• स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच और समानता में सुधार.
• 8 फीसदी की विकास दर हासिल करने के लिए भारत को सब्सिडी कम करने, सामाजिक और भौतिक संरचनाओँ पर अधिक खर्च करने, वस्तु एवं सेवा कर लगाने और बुनियादी ढांचा के क्षेत्र में कर मुक्त धन की जरूरत है. भारत को केंद्र और राज्य स्तर पर राजकोषीय समेकन की गुणवत्ता में भी सुधार करने की जरूरत है.
0 comments:
Post a Comment