कथक नृत्यांगना सितारा देवी का मुंबई में निधन-(25-NOV-2014) C.A

| Tuesday, November 25, 2014
देश की प्रख्यात कथक नृत्यांगना सितारा देवी का 25 नवंबर 2014 को मुंबई के जसलोक अस्पताल में 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया. सितारा देवी के दोनों बेटे विदेश में रहते हैं. पिछले 6 दशकों से भी ज्यादा समय से वह एक विख्यात कथक नृत्यांगना थीं. सितारा देवी को भारतीय फिल्म उद्योग में शास्त्रीय नृत्य को स्थापित करने का भी श्रेय जाता है. वर्ष 1973 में सितारा देवी को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. सितारा देवी को पद्म भूषण के लिए भी चुना गया था लेकिन उन्होंने भारत रत्न की मांग करते हुए इस सम्मान को ठुकरा दिया था.
अमेरिका, इंग्लैंड सहित दुनिया के कई देशों में उन्होंने अपने नृत्य का प्रदर्शन किया था. उनके पिता का नाम सुखदेव महाराज था और उनका परिवार मूल रूप से वाराणसी से आता था. उन्होंने फिल्म निर्देशक के आसिफ से विवाह किया था, पर उनका वैवाहिक जीवन बहुत सफल नहीं रहा. आसिफ मुगल ए आजम जैसे चर्चित हिंदी फिल्म के निर्माता निर्देशक थे.
सितारा देवी के बार में
•    सितारा देवी का असली नाम धनलक्ष्मी था. उनका जन्म कोलकाता में वर्ष 1920 में नर्तक सुखदेव महारा के यहां हुआ था.
•    11 वर्ष की उम्र में उनका परिवार मुंबई रहने चला गया, जहां उन्होंने तीन घंटे के एकल गायन से नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर को प्रभावित किया था.
•    सितारा देवी को वर्ष 1969 में संगीत नाटक अकादमी और वर्ष 1994 में कालीदास सम्मान से सम्मानित किया गया.
•    17 वर्ष की उम्र में वे नृत्य में परंगत हो गई थीं. रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें नृत्य सामाज्ञी की उपाधि दी थी.
•    वह संगीत नाटक अकादमी, पद्मश्री और कालिदास सम्मान जैसे प्रतिष्ठित सम्मान पा चुकी हैं.
•    बचपन में कुछ फिल्मों में उन्होंने नृत्य भी किया था. उनकी प्रमुख फिल्मों में शहर का जादू (1934), जजमेंट आफ अल्लाह (1935), नगीना, बागबान, वतन (1938), मेरी आंखें (1939) होली, पागल, स्वामी (1941), रोटी (1942), चांद (1944), लेख (1949), हलचल (1950) और मदर इंडिया (1957) हैं.
•    सितारा देवी ने बॉलीवुड की अनेक अभिनेत्रियों को नृत्य का प्रशिक्षण भी दिया. मधुबाला, रेखा, माला सिन्हा और काजोल जैसी बालीवुड की अभिनेत्रियों ने उनसे ही कथक नृत्य की शिक्षा प्राप्त की.

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