असम सरकार ने गुवाहाटी में पहला राज्य वीरता पुरस्कार गुंजन सर्मा को
17 नवंबर 2014 को प्रदान किया. 15
वर्षीय गुंजन शिवसागर जिला की निवासी हैं. गुंजन शर्मा को असम का
पहला वीरता पुरस्कार 4 दिसंबर 2013 को
बंदूकधारी द्वारा बंधक बनाए गए 10 स्कूली बच्चों के जीवन को
बचाने के लिए दिया गया.
असम के शिवसागर जिला के नजीरा केंद्रीय विद्यालय की छात्रा गुंजन शर्मा ने बच्चों से भरी स्कूल वैन का अपहरण करने वाले बंदूकधारी को बच्चों को छोड़ने के एवज में खुद स्वेच्छा से साथ चलने का विकल्प दिया. बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए वह स्वेच्छा से बंदूकधारी के साथ जाने को राजी हो गई लेकिन बाद में गुंजन को रात में असम– नगालैंड सीमा के घने जंगलों में छोड़ दिया गया. सुबह तक वह जंगल से बाहर आने का रास्ता खोजने में कामयाब हो गईं. उनकी बाहादुरी ने असम सरकार को राज्य वीरता पुरस्कार का गठन करने पर मजबूर किया.
असम के शिवसागर जिला के नजीरा केंद्रीय विद्यालय की छात्रा गुंजन शर्मा ने बच्चों से भरी स्कूल वैन का अपहरण करने वाले बंदूकधारी को बच्चों को छोड़ने के एवज में खुद स्वेच्छा से साथ चलने का विकल्प दिया. बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए वह स्वेच्छा से बंदूकधारी के साथ जाने को राजी हो गई लेकिन बाद में गुंजन को रात में असम– नगालैंड सीमा के घने जंगलों में छोड़ दिया गया. सुबह तक वह जंगल से बाहर आने का रास्ता खोजने में कामयाब हो गईं. उनकी बाहादुरी ने असम सरकार को राज्य वीरता पुरस्कार का गठन करने पर मजबूर किया.
इससे पहले, असम सरकार ने पुरस्कार लेने के लिए
गुवाहाटी आ रही गुंजन और उनके परिवार की बोकाखाट में हुए हादसे में लगी चोटों की
वजह से पुरस्कार समारोह को स्थगित कर दिया था.
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