राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत औऱ भूटान के बीच संबंधों को मजबूत
बनाने के लिए 7 से 8 नवंबर 2014
के बीच भूटान का दौरा किया. बीते 26 वर्ष में
किसी भारतीय राष्ट्रपति की यह पहला द्विपक्षीय दौरा था. अपने दौरे के दौरान
राष्ट्रपति ने भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक और प्रधानमंत्री
शेरिंग तोबगे से मुलाकात की. राष्ट्रपति ने आपसी हितों के मुद्दों जिसमें
द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय महत्व वाले मुद्दे भी शामिल थे, पर
भी चर्चा की.
राष्ट्रपति ने भूटान के नेताओं, अधिकारियों,
पेशेवरों और बुद्धिजीवियों को भारत–भूटान
संबंधों पर संबोधित भी किया. अपने दौरे के दौरान दोनों देशों ने नालंदा
विश्वविद्यालय के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया. इस समझौते के मुताबिक, भारत विश्वविद्यालय में पढ़ने और काम करने के लिए भूटान के छात्रों,
शिक्षकों और कर्मचारियों को भारत यात्रा के लिए उचित वीजा प्रदान
करेगा.
इसके अलावा तीन और समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. वे इस
प्रकार हैं–
• द रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ भूटान और इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेजेज यूनिवर्सिटी, हैदराबाद.
• द रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ भूटान और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत नेशनल इन्नोवेशन फाउंडेशन.
• द रॉयल सिविल सर्विसेस कमिशन और भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद.
राष्ट्रपति ने भारतीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों में उच्च शिक्षा हासिल करने हेतु भूटान के छात्रों के लिए राजदूत छात्रवृत्ति की राशि को दुगना कर 2 करोड़ रुपये करने की भी घोषणा की. दोनों ही देश कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और फसलोत्तर प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में प्रशिक्षण कार्यक्रमों को व्यापक सहायता के जरिए मजबूत बनाने पर सहमत हुए. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भूटान गया था जिसमें रेल राज्य मंत्री, चार संसद सदस्य, शिक्षा एवं अकादमिक संस्थानों के वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल थे.
• द रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ भूटान और इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेजेज यूनिवर्सिटी, हैदराबाद.
• द रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ भूटान और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत नेशनल इन्नोवेशन फाउंडेशन.
• द रॉयल सिविल सर्विसेस कमिशन और भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद.
राष्ट्रपति ने भारतीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों में उच्च शिक्षा हासिल करने हेतु भूटान के छात्रों के लिए राजदूत छात्रवृत्ति की राशि को दुगना कर 2 करोड़ रुपये करने की भी घोषणा की. दोनों ही देश कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और फसलोत्तर प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में प्रशिक्षण कार्यक्रमों को व्यापक सहायता के जरिए मजबूत बनाने पर सहमत हुए. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भूटान गया था जिसमें रेल राज्य मंत्री, चार संसद सदस्य, शिक्षा एवं अकादमिक संस्थानों के वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल थे.
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