भारत
ने मौत की सजा देने के विकल्प पर पाबंदियां लगाने के संयुक्त राष्ट्र महासभा में
पेश मसौदा प्रस्ताव के खिलाफ 25 नवंबर 2014 को वोट किया. भारत की ओर से इस अवसर पर कहा गया कि, ‘हर देश को अपना कानूनी तंत्र निर्धारित करने व अपराधियों को उसके अनुसार
सजा देने का संप्रभु हक है, जबकि महासभा का प्रस्ताव इसको
स्वीकारने में असफल है.’
भारत
इसके खिलाफ वोट करने वाले 36 देशों में शामिल हुआ. प्रस्ताव के पक्ष
में कुल 114 मत पड़े, मतदान के दौरान 34
सदस्य अनुपस्थित रहे. प्रस्ताव के प्रावधानों के जरिये महासभा ने
सदस्य देशों को मौत की सजा को सीमित करने और 18 वर्ष से कम
उम्र के व्यक्ति, गर्भवती महिला और मानसिक व बौद्धिक स्तर पर
अक्षम लोगों को मौत की सजा न देने की मांग की. प्रस्ताव के खिलाफ अपने वोट के
स्पष्टीकरण में भारत ने कहा कि ये पाबंदियां मौत की सजा को पूरी तरह से समाप्त करने
के उद्देश्य से प्रेरित है.
विदित हो कि मौत की सजा
पर पाबंदियां लगाने वाले इस मसौदा प्रस्ताव को नवंबर 2014
के प्रथम सप्ताह में संयुक्त राष्ट्र महासभा की ‘थर्ड कमेटी’ ने मंजूरी दी थी. संयुक्त राष्ट्र
महासभा की थर्ड कमेटी सामाजिक, मानवीय और सांस्कृतिक मुद्दों
पर विचार करती है.
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