चीन और ऑस्ट्रेलिया ने द्विपक्षीय अंटार्कटिक सहयोग पर एक समझौते
ज्ञापन पर 18 नवंबर 2014 को
हस्ताक्षर किया. इस समझौते पर चीन के राष्ट्रपति झी जिनपिंग और ऑस्ट्रेलिया के
प्रधानमंत्री टॉनी एबोट की मौजूदगी में अंटार्कटिका के लिए ऑस्ट्रेलियाई प्रवेश
द्वार हॉबर्ट में हस्ताक्षर किया गया.
चीन के राष्ट्रपति झी जिनपिंग ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और फिजी के तीन देशों के दौरे पर हैं. उन्होंने अपने दौरे के पहले
चरण में ऑस्ट्रेलिया की यात्रा की.
समझौता ज्ञापन का विवरण
• दोनों ही देश आंकड़े और कर्मियों की आदान– प्रदान करेंगे जो भविष्य के वैज्ञानिक गतिविधियों में सहयोग में वृद्धि होगी.
• दोनों ही देश लॉजिस्टिक्स और आपातकाल एवं बचाव कार्यों में एक दूसरे का सहयोग करेंगें. समझौते में अंटार्कटिक क्षेत्र में संरक्षण और खाद्य सुरक्षा की आशा जगाई.
• अंटार्कटिक अधिकारियों और अकादमिक आदान–प्रदान के लिए एक मंच की भी स्थापना की जाएगी, जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया अंटार्कटिका के लिए प्रवेश द्वार बन जाएगा.
• दोनों ही देश एक संयुक्त समिति का गठन करेंगे जो कि दो वर्ष में एक बार बैठक करेगी और यह समिति सहयोग एवं अंटार्कटिक में पर्यावरण, नीति, वैज्ञानिक और संचालन सहयोग के लिए तंत्र की निगरानी करेंगे.
वर्तमान में चीन में अंटार्कटिक क्षेत्र के लिए चार अनुसंधान स्टेशन है जिसमें आखिरी अनुसंधान स्टेशन तिशान में 2014 में खोला गया था. पांचवे स्टेशन को भी खोलने की योजना है. दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलिया में तीन अनुसंधान स्टेशन हैं. अमेरिका, चीन, रूस, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, फ्रांस और अर्जेंटिना समेत करीब 30 देश अंटार्कटिका में स्थायी अनुसंधान स्टेशनों का संचालन कर रहे हैं.
टिप्पणी
इस समझौते ने संसाधन संपन्न अंटार्कटिका क्षेत्र में संरक्षण एवं खाद्य सुरक्षा पर समझौते के लिए उम्मीद बढ़ा दी है.
अंटार्कटिक क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों में बड़े पैमाने पर तेल का भंडार शामिल है. यह तेल भंडार रॉस सागर क्षेत्र में हैं और सउदी अरब के बाद दूसरा तेल– संपन्न क्षेत्र का होना अनुमानित है. इसके अलावा, इस क्षेत्र में मछलियां औऱ क्रिल भी बड़ी संख्या में पाई जाती हैं.
अक्टूबर 2014 में पर्थ में हुए कंजर्वेशन ऑफ अंटार्कटिक मैरीन लिविंग रिसोर्सेस (सीसीएएमएलआर) में एक तरफ चीन, रूस औऱ दूसरी तरफ यूरोपीय संघ, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के इस क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा और समुद्री जीवन संरक्षण से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर दृष्टिकोण में मदभेद सामने आए.
समझौता ज्ञापन का विवरण
• दोनों ही देश आंकड़े और कर्मियों की आदान– प्रदान करेंगे जो भविष्य के वैज्ञानिक गतिविधियों में सहयोग में वृद्धि होगी.
• दोनों ही देश लॉजिस्टिक्स और आपातकाल एवं बचाव कार्यों में एक दूसरे का सहयोग करेंगें. समझौते में अंटार्कटिक क्षेत्र में संरक्षण और खाद्य सुरक्षा की आशा जगाई.
• अंटार्कटिक अधिकारियों और अकादमिक आदान–प्रदान के लिए एक मंच की भी स्थापना की जाएगी, जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया अंटार्कटिका के लिए प्रवेश द्वार बन जाएगा.
• दोनों ही देश एक संयुक्त समिति का गठन करेंगे जो कि दो वर्ष में एक बार बैठक करेगी और यह समिति सहयोग एवं अंटार्कटिक में पर्यावरण, नीति, वैज्ञानिक और संचालन सहयोग के लिए तंत्र की निगरानी करेंगे.
वर्तमान में चीन में अंटार्कटिक क्षेत्र के लिए चार अनुसंधान स्टेशन है जिसमें आखिरी अनुसंधान स्टेशन तिशान में 2014 में खोला गया था. पांचवे स्टेशन को भी खोलने की योजना है. दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलिया में तीन अनुसंधान स्टेशन हैं. अमेरिका, चीन, रूस, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, फ्रांस और अर्जेंटिना समेत करीब 30 देश अंटार्कटिका में स्थायी अनुसंधान स्टेशनों का संचालन कर रहे हैं.
टिप्पणी
इस समझौते ने संसाधन संपन्न अंटार्कटिका क्षेत्र में संरक्षण एवं खाद्य सुरक्षा पर समझौते के लिए उम्मीद बढ़ा दी है.
अंटार्कटिक क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों में बड़े पैमाने पर तेल का भंडार शामिल है. यह तेल भंडार रॉस सागर क्षेत्र में हैं और सउदी अरब के बाद दूसरा तेल– संपन्न क्षेत्र का होना अनुमानित है. इसके अलावा, इस क्षेत्र में मछलियां औऱ क्रिल भी बड़ी संख्या में पाई जाती हैं.
अक्टूबर 2014 में पर्थ में हुए कंजर्वेशन ऑफ अंटार्कटिक मैरीन लिविंग रिसोर्सेस (सीसीएएमएलआर) में एक तरफ चीन, रूस औऱ दूसरी तरफ यूरोपीय संघ, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के इस क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा और समुद्री जीवन संरक्षण से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर दृष्टिकोण में मदभेद सामने आए.
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