भारत में अनाथ एवं अन्य वंचित बच्चों की मदद के लिए काम करने वाली 18 वर्षीय भारतीय-अमेरिका नेहा गुप्ता को प्रतिष्ठित ‘इंटरनेशनल
चिल्ड्रेन्स पीस प्राइज’ से 18 नवंबर 2014
को हेग में आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित किया गया. फिलाडेल्फिया
की नेहा गुप्ता पहली अमेरिकी हैं जिन्हें नीदरलैंड के द हेग में ‘इंटरनेशनल चिल्ड्रेन्स पीस प्राइज’ प्रदान किया गया.
द हेग में आयोजित कार्यक्रम में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित डेसमंड टूटू ने
नेहा को यह पुरस्कार दिया. वर्ष 2013 में पाकिस्तान की मलाला
युसूफजई को यह पुरस्कार मिला था. पाकिस्तानी कार्यकर्ता को इस वर्ष नोबेल शांति
पुरस्कार मिला है.
नेहा गुप्ता के बारे में
• नेहा गुप्ता ने अपने संगठन के माध्यम से 25000 कमजोर बच्चों की मदद की.
• नेहा गुप्ता ने बच्चों के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने हेतु दुनिया भर में अपने साथियों को अपना योगदान देने के लिए प्रेरित किया.
• संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिक नेहा गुप्ता भारतीय माता-पिता की संतान हैं. नेहा का जन्म न्यूजीलैंड में हुआ था.
• नेहा गुप्ता ने 9 वर्ष की उम्र से बच्चों के लिए काम करना शुरू किया था.
‘इंटरनेशनल चिल्ड्रेन्स पीस प्राइज’ के बारे में
‘इंटरनेशनल चिल्ड्रेन्स पीस प्राइज’ दुनिया भर के बच्चों के अधिकारों हेतु समर्पण और योगदान देने वाले व्यक्ति को प्रतिवर्ष दिया जाता है. यह पुरस्कार डच किड्स राइट्स फाउंडेशन (Dutch KidsRights Foundation) के अध्यक्ष और संस्थापक मार्क ड्यूलेर्ट (Marc Dullaer) की पहल है.
यह पुरस्कार मिखाइल गोर्बाचेव की अध्यक्षता में वर्ष 2005 के नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं के 'शिखर सम्मेलन के दौरान किड्स राइट्स (KidsRights) द्वारा शुरू किया गया था. तब से, यह पुरस्कार नोबेल शांति पुरस्कार विजेता द्वारा हर वर्ष प्रदान किया जाता है.
नेहा गुप्ता के बारे में
• नेहा गुप्ता ने अपने संगठन के माध्यम से 25000 कमजोर बच्चों की मदद की.
• नेहा गुप्ता ने बच्चों के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने हेतु दुनिया भर में अपने साथियों को अपना योगदान देने के लिए प्रेरित किया.
• संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिक नेहा गुप्ता भारतीय माता-पिता की संतान हैं. नेहा का जन्म न्यूजीलैंड में हुआ था.
• नेहा गुप्ता ने 9 वर्ष की उम्र से बच्चों के लिए काम करना शुरू किया था.
‘इंटरनेशनल चिल्ड्रेन्स पीस प्राइज’ के बारे में
‘इंटरनेशनल चिल्ड्रेन्स पीस प्राइज’ दुनिया भर के बच्चों के अधिकारों हेतु समर्पण और योगदान देने वाले व्यक्ति को प्रतिवर्ष दिया जाता है. यह पुरस्कार डच किड्स राइट्स फाउंडेशन (Dutch KidsRights Foundation) के अध्यक्ष और संस्थापक मार्क ड्यूलेर्ट (Marc Dullaer) की पहल है.
यह पुरस्कार मिखाइल गोर्बाचेव की अध्यक्षता में वर्ष 2005 के नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं के 'शिखर सम्मेलन के दौरान किड्स राइट्स (KidsRights) द्वारा शुरू किया गया था. तब से, यह पुरस्कार नोबेल शांति पुरस्कार विजेता द्वारा हर वर्ष प्रदान किया जाता है.
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