विश्व बैंक ने ग्लोबल वार्मिंग पर ‘टर्न डाउन
द हीटः कंफ्रंटिंग द न्यू क्लाइमेट नॉर्मल’ नाम से 23
नवंबर 2014 को एक रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट
में ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के विशेष
क्षेत्रीय प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है.
इस रिपोर्ट में तीन क्षेत्रों– लैटिन
अमेरिका और कैरेबिया, पूर्वी यूरोप एवं मध्य एशिया और मध्य
पूर्व एवं उत्तर अफ्रीका में जीवन और आजीविका के लिए जलवायु परिवर्तन के जोखिम की
पड़ताल की गई है. इस रिपोर्ट में विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन,
दुनिया में अत्यंत गरीबी को मिटाने के प्रयासों को कमजोर कर सकता
है. विश्व बैंक ने वर्ष 2030 तक दुनिया से अत्यंत गरीबी को खत्म करने का महत्वकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है और
यह तभी संभव है जब ग्लोबल वार्मिंग सिर्फ दो डिग्री पर सीमित रहे.
रिपोर्ट की मुख्य बातें
• तापमान में तेजी से होने वाली बढ़ोतरी कई इलाकों में फसल की पैदावार और पानी की आपूर्ति को बहुत कम कर सकती है और संभवतः आबादी को गरीबी मुक्त करने के प्रयासों को कमजोर कर सकती है.
• जलवायु परिवर्तन विकास प्रक्रिया के लिए एक बड़ा खतरा है औऱ यह अत्यंत गरीबी को कम करने एवं साझे समृद्धि को बढ़ावा देने के वैश्विक प्रयासों को कमजोर कर सकता है.
• अगर जल्द ही कारगर कदम नहीं उठाए गए तो तापमान 1.5 से 2 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक हो सकता है और यह दुनिया में अंतर एवं अंतरसरकारी गरीबी को और बढ़ा सकता है.
• इसमें चेतावनी दी गई है कि अगर जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो इस सदी के अंत तक विश्व का औसत तापमान वृद्धि 4.0 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा.
‘टर्न डाउन द हीटः कंफ्रंटिंग द न्यू क्लाइमेट नॉर्मल’
‘टर्न डाउन द हीटः कंफ्रंटिंग द न्यू क्लाइमेट नॉर्मल’, पोस्टाडम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च एंड क्लाइमेट एनालिटिक्स से विश्व बैंक समूह द्वारा अधिकृत किए गए रिपोर्टों की श्रृंखला का तीसरा रिपोर्ट है.
• पहली रिपोर्ट में दुनिया के 4डिग्री सेल्सियत तक गर्म होने से पैदा होने वाले वैश्विक जोखिम पर बात की गई थी.
• दूसरी रिपोर्ट में तीन क्षेत्रों– अफ्रीका, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया और खाद्य सुरक्षा, जल सुरक्षा एवं समुद्री स्तर में होने वाले खतरनाक बढ़ोतरी से नीचले शहरों के जोखिम और तूफानों की अतिसंवेदनशीलता पर फोकस किया गया था.
टिप्पणी
यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) जलवायु परिवर्तन की गति और 2 डिग्री ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के भीतर आवश्यक ऊर्जा हस्तांतरणों पर जारी नई चेतावनियों पर जारी किया गया है. विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने इस अवसर पर कहा कि गरीबी को मिटाना, वैश्विक समृद्धि को बढ़ाना औऱ वैश्विक असामना को कम करना पहले से ही कठिन हो रहा है और दो डिग्री सेल्सियस की ग्लोबल वार्मिंग में यह और कठिन हो जाएगा लेकिन चार डिग्री पर इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रति गंभीर संदेह है.
रिपोर्ट की मुख्य बातें
• तापमान में तेजी से होने वाली बढ़ोतरी कई इलाकों में फसल की पैदावार और पानी की आपूर्ति को बहुत कम कर सकती है और संभवतः आबादी को गरीबी मुक्त करने के प्रयासों को कमजोर कर सकती है.
• जलवायु परिवर्तन विकास प्रक्रिया के लिए एक बड़ा खतरा है औऱ यह अत्यंत गरीबी को कम करने एवं साझे समृद्धि को बढ़ावा देने के वैश्विक प्रयासों को कमजोर कर सकता है.
• अगर जल्द ही कारगर कदम नहीं उठाए गए तो तापमान 1.5 से 2 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक हो सकता है और यह दुनिया में अंतर एवं अंतरसरकारी गरीबी को और बढ़ा सकता है.
• इसमें चेतावनी दी गई है कि अगर जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो इस सदी के अंत तक विश्व का औसत तापमान वृद्धि 4.0 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा.
‘टर्न डाउन द हीटः कंफ्रंटिंग द न्यू क्लाइमेट नॉर्मल’
‘टर्न डाउन द हीटः कंफ्रंटिंग द न्यू क्लाइमेट नॉर्मल’, पोस्टाडम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इंपैक्ट रिसर्च एंड क्लाइमेट एनालिटिक्स से विश्व बैंक समूह द्वारा अधिकृत किए गए रिपोर्टों की श्रृंखला का तीसरा रिपोर्ट है.
• पहली रिपोर्ट में दुनिया के 4डिग्री सेल्सियत तक गर्म होने से पैदा होने वाले वैश्विक जोखिम पर बात की गई थी.
• दूसरी रिपोर्ट में तीन क्षेत्रों– अफ्रीका, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया और खाद्य सुरक्षा, जल सुरक्षा एवं समुद्री स्तर में होने वाले खतरनाक बढ़ोतरी से नीचले शहरों के जोखिम और तूफानों की अतिसंवेदनशीलता पर फोकस किया गया था.
टिप्पणी
यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) जलवायु परिवर्तन की गति और 2 डिग्री ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के भीतर आवश्यक ऊर्जा हस्तांतरणों पर जारी नई चेतावनियों पर जारी किया गया है. विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने इस अवसर पर कहा कि गरीबी को मिटाना, वैश्विक समृद्धि को बढ़ाना औऱ वैश्विक असामना को कम करना पहले से ही कठिन हो रहा है और दो डिग्री सेल्सियस की ग्लोबल वार्मिंग में यह और कठिन हो जाएगा लेकिन चार डिग्री पर इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रति गंभीर संदेह है.
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