अंतरराष्ट्रीय गौचर दिवस 26 जुलाई को मनाया गया-(29-JULY-2014) C.A

| Tuesday, July 29, 2014
26 जुलाई: गौचर दिवस 
विश्व का पहला अंतरराष्ट्रीय गौचर दिवस (आईजीडी) 26 जुलाई, 2014 को मनाया गया. यह दिवस फिलिप गौचर के 160वें जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए मनाया गया. आईजीडी दिवस की स्थापना गौचर रोग के बारे में अंतरराष्ट्रीय जागरूकता बढ़ाने के लिए यूरोपीय गौचर गठबंधन (ईजीए) द्वारा की गयी. 

भारत में गौचर दिवस 2014
अंतरराष्ट्रीय गौचर दिवस मनाने और गौचर रोग के रोगियों की मदद के लिए सरकार से वित्तीय सहायता जुटाने हेतु नई दिल्ली में मूक रैली का आयोजन किया गया. रैली को ल्योसोमल भंडारण विकार समर्थन सोसायटी (LSDSS) द्वारा रेसकोर्स रोड पर आयोजित किया गया.
फिलिप गौचर के बारे मे
फिलिप चार्ल्स अर्नेस्ट गौचर फ्रेंच त्वचा विशेषज्ञ थे जिन्होंने वर्ष 1882 में गौचर रोग के लक्षणों पता लगाया था. फिलिप चार्ल्स अर्नेस्ट गौचर ने छात्र के रूप में रोग की खोज की जो बाद में गौचर रोग के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
गौचर का जन्म 26 जुलाई 1854 को बोरगन क्षेत्र में हुआ था जो एक समय में विशेष रूप से फ्रांस और पेरिस में चिकित्सा अनुसंधान और शिक्षण के लिए दुनिया का प्रमुख केंद्र था.
गौचर ने एक 32 वर्षीय महिला में इस बीमारी की खोज की जिसके बढ़ा हुआ प्लीहा था. लेकिन उस समय, वह कैंसर के रूप का रोग माना जाता था. हालांकि वर्ष 1965 में, गौचर को रोग की सही जैव रासायनिक प्रकृति समझ में आ गयी थी.
गौचर रोग के बारे में
गौचर रोग खतरनाक ऑटोसोमल रिसेसिव बीमारी है जो ल्योसोमल भंडारण विकार (लिपिड भंडारण रोग) के नाम से जानी जाती है. इस रोग की आशंका 1 लाख व्यक्तिओं में केवल 1 व्यक्ति में देखने को मिलती है. यह शरीर में विशेष एंजाइम (glucocerebrosidase) की कमी के कारण होता है. यह आम तौर पर माता पिता के आनुवांशिक उत्परिवर्तन से प्राप्त होता है जो एंजाइम सब्सट्रेट ग्लूकोसेरेब्रोसाइड के संचय के कारण होता है,

रोग के कुछ लक्षण भी शामिल हैं
बढ़े हुए प्लीहा और यकृत 
लिवर की खराबी 
कंकाल विकार 
तंत्रिका संबंधी जटिलता 
लिम्फ नोड्स और कभी-कभी आसन्न जोड़ों में सूजन
पेट फैलना
त्वचा का रंग भूरा होना
एनीमिया 
रक्त प्लेटलेट्स में कमी 
श्वेतपटल पर पीला वसा जमा होना