भारतीय मूल के नील मुखर्जी लिखित उपन्यास ‘द लाइव्स आफ अदर्स,’ ‘मैन बुकर पुरस्कार-2014’ हेतु अधिमानित-(31-JULY-2014) C.A

| Thursday, July 31, 2014
द लाइव्स आफ अदर्स’ (The Lives of Others): नील मुखर्जी

भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक नील मुखर्जी द्वारा लिखित उपन्यास द लाइव्स आफ अदर्स’ (The Lives of Others), ‘मैन बुकर पुरस्कार-2014’ (Man Booker Prize 2014) हेतु अधिमानित (Shortlisted) किया गया. इसकी घोषणा जुलाई 2014 के चौथे सप्ताह में की गई. यह उपन्यास वर्ष 1960 के दशक में कोलकाता के क्रांतिकारी गतिविधियों पर केंद्रित है.
 
द लाइव्स आफ अदर्स’ (The Lives of Others), कोलकाता में जन्में नील मुखर्जी का दूसरा उपन्यास है, जिसे मैन बुकर पुरस्कारहेतु अधिमानित किया गया. इनका पहला उपन्यास पास्ट कंटीन्यूअस’ (Past Continuous ) को वर्ष 2008 में  भारत में वोडाफोन क्रॉसवर्ड पुरस्कार’ (Vodafone Crossword Award) से सम्मानित किया गया. 

मैन बुकर पुरस्कार से संबंधित मुख्य तथ्य
मैन बुकर पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनीद्वारा की गई. यह पुरस्कार राष्ट्रमंडल या आयरलैंड के नागरिक द्वारा लिखे गए मौलिक अंग्रेजी उपन्यास के लिए प्रति वर्ष दिया जाता है. इस पुरस्कार के तहत विजेता को 60 हज़ार ब्रिटिश पाउण्ड की राशि दी जाती है.

विदित हो कि मैन बुकर पुरस्कार-2014’ हेतु इस पुरस्कार के 46 वर्ष के इतिहास में पहली बार, किसी भी नागरिकता वाले लेखक के लिए 50 हजार ब्रिटिश पाउंड की पुरस्कार राशि रखी गई है. इसकी शर्त यह है कि, संबंधित रचना मूल रूप में अंग्रेजी भाषा में लिखी गई हो और यह ब्रिटेन में प्रकाशित हुई हो.


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