ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर समझौते के लिए अंतिम तिथि 24 नवंबर तक बढ़ाई गयी-(24-JULY-2014) C.A

| Thursday, July 24, 2014
ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर समझौते के लिए अंतिम तिथि 24 नवंबर तक बढ़ाई दी गयी. अंतिम तिथि में किए गए बदलाव की घोषणा यूरोपीय संघ के विदेश मामलों एवं सुरक्षा की उच्च प्रतिनिधि कैथरीन एस्टन और ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जाफरी ने 18 जुलाई 2014 को की.
यह फैसला पी5+1 देशों और ईरान के साथ यूरोपीय संघ की ऑस्ट्रिया के वियना में हुई बैठक के विफल होने के बाद किया गया.
समय सीमा के विस्तार के ईरान इस अवधी में अतिरिक्त 2.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का जमा नकदी का प्रयोग कर सकेगा हालांकि इस इस्लामी गणराज्य पर लगे ज्यादातर प्रतिबंध जारी रहेंगें.
इससे पहले ईरान के सातवें राष्ट्रपति के तौर पर हसन रूहानी के चुनाव के बाद 24 नवंबर 2014 को पी5+1 देशों और ईरान ने एक संयुक्त योजना (ज्वाइंट प्लान ऑफ एक्शन) के लिए जीनेवा, स्विट्जरलैंड में मिलने पर सहमत हुए थे.
20 जनवरी 2014 को प्रभाव में आए संयुक्त योजना का उद्देश्य 20जून 2014 तक एक समझौता पर सहमत होना था. इन छह माह के दौरान ईरान और छह देश एक व्यापक परमाणु समझौते पर सहमत होने वाले थे जिससे ईरान पर लगे सभी प्रतिबंध उठा लिया जाता. इस छह माह के समझौते ने ईरान को विदेशों में जमा 4.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के फंड को हासिल करने की अनुमति दी थी.
पृष्ठभूमि
ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर विवाद एक दशक पुराना है. एक तरफ पश्चिमी देशों जिसका नेतृत्व अमेरिका कर रहा है, का आरोप है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम का उपयोग यूरेनियम संवर्धन और बड़े पैमाने पर सामूहिक विनाश के लिए हथियारों के विकास के लिए कर सकता है. परिणाम स्वरूप पी5+1 देशों ने ईरान को परमाणु बम का उत्पादन नहीं करना सुनिश्चित करने के लिए उसे तुरंत अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को बंद करना चाहते हैं.
दूसरी तरफ ईरान ने इस मांग का खंडन करते हुए कहा कि अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु कार्यक्रम को जारी रखना उसके संप्रभुता का अधिकार है. इसके अलावा ईरान का कहना था कि यह कार्यक्रम पूर्णतः शांतिपूर्ण है और वह तेलपर निर्भर अपनी अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए जल्दसेजल्द प्रतिबंधों को हटाना चाहता है.
हालांकि, ईरान कई कदम उठाने पर राजी हुआ है जिसमें वह अपने सबसे अधिक संवेदनशीन यूरेनियम भंडार (20% शुद्धता स्तर वाला यूरेनियम) को तेहरान के अनुसंधान रिएक्टर जहां यूरेनियम का इस्तेमाल मेडिकल आईसोटोप्स बनाने में किया जाता है, के लिए इंधन में परिवर्तित कर, इसे निष्क्रिय रखने पर राजी हो गया है. हालांकि, प्रमुख मुद्दे अभी भी हल नहीं किए गए हैं.
प्रमुख मुद्दा हैईरान का यह कहना कि वह अपने औद्योगिकपैमाने पर यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम के विकास में सात वर्ष की देरी कर सकता है और इस उद्देश्य के लिए लगाए गए 19000 सेंट्रीफ्यूज को लगाए रखेगा. पश्चिमी देशों का आरोप है कि सेंट्रीफ्यूज की यह संख्या बहुत अधिक है.
पी5+1 देशों के समूह में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएमएससी) के पांच स्थायी सदस्य और जर्मनी शामिल हैं. यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्य हैं रूस, चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस.


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