ब्रिक्स विकास बैंक सदस्य देशों हेतु कितना मददगार, कितनी चुनौतियां?-(18-JULY-2014) C.A

| Friday, July 18, 2014
ब्राजील में ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के छठे शिखर सम्मेलन में, 16 जुलाई 2014 को ब्रिक्स विकास बैंककी स्थापना की घोषणा की गई. इस बैंक का मुख्यालय शंघाई (चीन) में स्थापित होगा एवं इसका प्रथम अध्यक्ष भारत से होगा. ब्रिक्स विकास बैंकहेतु 100 अरब अमेरिकी डॉलर की 'संचित कोष' का प्रावधान किया गया. ब्रिक्स विकास बैंककी स्थापना का मुख्य उद्देश्य, ब्रिक्स देशों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना एवं पश्चिमी देशों के प्रभुत्व वाले विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) पर निर्भरता कम करना है.
विश्लेषण
'ब्रिक्स विकास बैंक' की स्थापना हेतु वर्ष 2012 में नई दिल्ली में हुए 'चौथे ब्रिक्स सम्मेलन' में ही की गयी थी जिसके बाद से इस संबंध ब्रिक्स देशों में उत्साह बना हुआ था. इसके पीछे कारण यह है कि ब्रिक्स देश, जो कि वैश्विक जीडीपी में 25 प्रतिशत, विश्व की जमीन 30 प्रतिशत व आबादी में 45 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं, अमेरिका एवं यूरोपीय देशों के प्रभुत्व वाले विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का विकल्प तलाशते रहे हैं.
ब्रिक्स बैंक के निर्माण से ब्रिक्स देशों की विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पर निर्भरता कम होगी. यह बैंक सदस्य देशों को बुनियादी ढांचे के लिए मुख्य रुप से कर्ज उपलब्ध कराएगा.
ब्रिक्स बैंक का गठन रुस के लिए भी राहत देने वाला है क्योंकि यूक्रेन संकट के बाद विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष रुस पर प्रतिबंध लगाने का विचार कर रहे हैं.
हालांकि इस कदम का एक अन्य पहलू भी है. ब्रिक्स बैंक की स्थापना में 100 अरब डॉलर के आकस्मिक कोष का भी प्रावधान किया गया है जिसमें चीन का योगदान 41 अरब डॉलर है. साथ ही, ब्रिक्स बैंक का मुख्यालय शंघाई (चीन) में स्थापित किये जाने की घोषणा से चीन की गैर बराबरी मानसिकता को दर्शाती है.


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