मेघालय में 16 जुलाई 2014 को 95वां गारो श्रम कोर दिवस मनाया गया. इन दिन राज्य प्रथम विश्व युद्ध के
अपने नायकों को सलामी और श्रद्धांजलि देता है. इस दिन 500 गारो
लोगों को श्रद्धांजलि दी जाती है जिन्हें 96 वर्ष पहले
अंग्रेजों ने 69वें गारो लेबर कोर में 1917 में भर्ती किया था. चुने गए इन सभी लोगों को युद्ध के दौरान फ्रांस में
सेना की मदद करने के लिए भेजा गया था.
राज्य के दूर–दराज के इलाकों से भर्ती किए गए इन
रंगरूटों ने युद्ध के दौरान फ्रांस के विभिन्न इलाकों जैसे प्यूसीएक्स, बक्क्वॉय़, ला चापल्लेटी, ब्रूसेल्स
और अन्य जगहों पर सड़कें बनाने और समाना ढोने का काम किया था. इतिहासकार एवं
शिक्षाविद् मिल्टन संगमा ने गारो लोगों पर अपनी किताब गारो लेबर कोर में उनके साहस
और बहादुरी की कहानी बयां की है.
युद्ध के उन जांबाजों को एक विशेष स्मारक समारोह – गारो लेबर कॉर्प डे – में याद किया. श्रद्धांजलि
पश्चिम गारो पहाड़ी जिले के मुख्यालय तूरा में गारो सैनिकों की याद में बने स्मारक
पर दिया गया. इस दौरान सैनिकों को तोपों की सलामी दी गई और फूल–मालाएं चढाई गईं.
16 जुलाई को गारो लेबर कॉर्प डे इसलिए
मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन गारो पुरुष फ्रांस से भारत के मेघालय के तूरा
पहुंचे थे.
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