विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में भारत और अमेरिका के बीच 13 नवंबर 2014 को खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर सहमति
बनीं. इस सहमति के बाद विश्व व्यापार संगठन में व्यापार सुविधा समझौते (टीएफए) को
लागू करने का रास्ता साफ हो गया. इस मुद्दे पर भारत के सख्त रवैये के कारण पिछले
तीन माह से गतिरोध बना हुआ था. भारत में खाद्य सुरक्षा की जरूरतों को देखते हुए
दोनों देश, खाद्य सब्सिडी में कमी के प्रावधान को स्थायी
समाधान मिलने तक टालने के लिए तैयार हो गए.
व्यापार सुविधा समझौता (टीएफए) से संबंधित मुद्दा
भारत ने जुलाई 2014 में टीएफए पर
हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया था. भारत का कहना था कि जब तक खाद्य सब्सिडी को
लेकर डब्ल्यूटीओ में स्थायी हल नहीं ढूंढा जाता, तब तक वह
टीएफए पर हस्ताक्षर नहीं करेगा. हालांकि, भारत ने उस वक्त यह
साफ कर दिया था कि वह मूलत: इस समझौते के खिलाफ नहीं है, लेकिन
भारत की खाद्य सुरक्षा की जरूरतों को देखते हुए ऐसा करना आवश्यक है. वर्तमान में
दोनों देशों के बीच सहमति बनी है कि भारत की खाद्य सुरक्षा के लिहाज से अहम ‘पीस क्लॉज’ को तब तक जारी रखा जाएगा जब तक इस दिशा
में स्थायी समाधान नहीं मिल जाता. इसके लिए समय सीमा तय नहीं की गई है. डब्ल्यूटीओ
के बाली समझौते के अनुसार, पीस क्लॉज वर्ष 2017 तक लागू रहना था. इसके तहत खाद्यान्न भंडारण के लिए दी जाने वाली सब्सिडी
को लेकर विकासशील देशों के खिलाफ डब्ल्यूटीओ में चुनौती नहीं देने का प्रावधान है.
भारत के प्रारंभिक एतराज का कारण :
भारत ने डब्ल्यूटीओ से कृषि सब्सिडी की गणना के मानक बदलने को कहा था, ताकि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से खाद्यान्नों की खरीद कर सके. साथ ही डब्ल्यूटीओ मानकों का उल्लंघन किए बगैर गरीबों को उसे सस्ती दरों पर बेच सके. मौजूदा नियमों में खाद्यान्न सब्सिडी की सीमा तय है. यह खाद्यान्न उत्पादन के कुल मूल्य के दस फीसद के बराबर है. भारत को इसका अंदेशा था कि यदि उसका खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम पूरी तरह से लागू हुआ तो वह सीमा को पार कर जाएगा.
समझौते के बाद की स्थिति:
पीस क्लॉज के तहत खाद्य सब्सिडी की सीमा पार कर जाने पर भी जुर्माने से छुटकारा मिलेगा. दूसरे शब्दों में फिलहाल भारत पर दस फीसद की मौजूदा सीमा लागू नहीं होगी.
खाद्यान्न सब्सिडी की सीमा की शर्त न रह जाने के बाद सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से खाद्यान्नों की खरीद जारी रख सकेगी. खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के तहत खाद्यान्नों का भंडारण और गरीबों को इसका वितरण भी कर सकेगी. सब्सिडी सीमा पार होने पर डब्ल्यूटीओ सदस्य उसे नियमों के उल्लंघन का दोषी नहीं ठहरा सकेंगे. इसके साथ ही साथ भारतीय किसानों के हितों की रक्षा होगी.
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